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गौतम नवलखा की नजरबंदी से रिहाई के खिलाफ उच्चतम न्यायालय पहुंची महाराष्ट्र सरकार

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में नजरबंद किए गए पांच लोगों में से गौतम नवलखा की रिहाई के खिलाफ महाराष्ट्र...
गौतम नवलखा की नजरबंदी से रिहाई के खिलाफ उच्चतम न्यायालय पहुंची महाराष्ट्र सरकार

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में नजरबंद किए गए पांच लोगों में से गौतम नवलखा की रिहाई के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार उच्चतम न्यायालय पहुंची है। राज्य सरकार यहां फिर से नजरबंद करने की गुहार लगा रही है। इससे पहले सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने गौतम नवलखा को नजरबंदी से रिहा कर दिया था।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार इस मसले को सुनवाई के लिए सीधे मुख्य न्यायाधीश की पीठ के सामने लाने की कोशिश कर रही है।

सोमवार दिल्ली उच्च न्यायालय ने रद्द की थी नजरबंदी
महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में नजरबंद रहे मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को उस वक्त बड़ी राहत मिली थी जब दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को उनकी ट्रांजिट रिमांड संबंधी याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने नवलखा की नजरबंदी खत्म करते हुए कहा था कि उनकी हिरासत 24 घंटे पार कर गई है और इसे और बढ़ाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

उच्चतम न्यायालय ने दिया था नजरबंद रखने का आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट का यह आदेश उच्चतम न्यायालय के हाल में दिए उस फैसले के बाद आया था, जिसमें नवलखा और चार अन्य को कोर्ट ने चार सप्ताह के लिए और नजरबंद रखने का आदेश दिया था।

 पांच कार्यकर्ता किए गए थे गिरफ्तार

भीमा-कोरेगांव केस में अगस्त में पुलिस ने देशभर में वामपंथी विचारकों के ठिकानों पर छापे मारे थे। पुलिस ने वामपंथी विचार और मानवाधिकार कार्यकर्ता वरवर राव, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था।

उच्चतम न्यायालय ने इन पांचों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और सभी को उनके घरों में नजरबंद रखने का आदेश दिया। गौतम नवलखा समेत पांचों वामपंथी विचारक बीते 29 अगस्त से अपने-अपने घरों में नजरबंद हैं।

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