राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को लिखे अपने इस्तीफा पत्र में माल्या ने कहा है कि वह नहीं चाहते कि उनके नाम और छवि की और अधिक मिट्टी पलीद हो। उन्होंने पत्र में कहा, और चूंकि हालिया घटनाक्रम से जाहिर होता है कि मुझे निष्पक्ष सुनवाई या न्याय नहीं मिलेगा, इसलिए मैं राज्यसभा की सदस्यता से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं। उन्होंने राज्यसभा की आचार समिति के अध्यक्ष कर्ण सिंह द्वारा उन्हें लिखे गए पत्र का भी जिक्र किया और कहा कि उन्होंने सिंह को जवाब दे दिया है। यह राज्यसभा में माल्या का दूसरा कार्यकाल है और यह एक जुलाई को समाप्त होने वाला था।
मामले पर गौर करने वाली उच्च सदन की आचार समिति ने 25 अप्रैल की अपनी बैठक में आम राय से फैसला किया कि माल्या को अब सदन का सदस्य नहीं रहना चाहिए और यह तीन मई की अगली बैठक में उन्हें निष्कासित करने की सिफारिश करने की योजना बना रही थी। इसके साथ ही समिति ने माल्या को अपने व्यवहार को स्पष्ट करने के लिए एक हफ्ते का समय देने का फैसला किया था। धनशोधन मामले में अदालत और सरकारी एजेंसियों की कारर्वाई का सामना कर रहे माल्या के दो मार्च को भारत छोड़ने के बाद से ब्रिटेन में रहने की बात मानी जा रही है। गौरतलब है कि सरकार ने एक हफ्ता पहले माल्या का पासपोर्ट रद्द कर दिया था और उनके प्रत्यर्पण की कारर्वाई शुरू कर दी थी।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    