जबरदस्त सीटें लेकर सत्ता में ममता बनर्जी के लौटने से स्पष्ट हो गया कि भ्रष्टाचार और आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को लेकर उठे मुद्दों प्रभावी नहीं रहे। मंत्रिमंडल गठन में ममता बनर्जी ने इन मुद्दों को अनदेखा करते हुए जीते उन सभी को मंत्री बना दिया है, जिनपर नारद सीडी कांड में घूस लेने के आरोप लगे थे।
(फोटो में क्रम से) वित्त मंत्री अमित मित्र पर दाग नहीं लगा था। लेकिन सुब्रत मुखर्जी, पार्थ चटर्जी, शोभनदेव चटर्जी, कोलकाता के मेयर शोभन चट्टोपाध्याय, साधन पांडे, जावेद खान, वाममोर्चा की सरकार में मंत्री रहे अब्दुल रज्जाक मोल्ला, पूर्णेंदु बोस, अरूप राय, फिरहाद हाकिम, ज्योतिप्रिय मल्लिक पर या तो नारद कांड के दाग हैं या फिर थानों में मामले दर्ज हैं। इन सभी को साथ लेकर ममता बनर्जी ने चुनाव प्रचार भी किया था और नारद सीडी कांड को तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ षडयंत्र बताया था।
जिन नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, उनमें प्रमुख हैं- मुस्लिम नेता सिद्दीकुल्ला चौधरी, जलपाईगुड़ी से जेम्स कुजूर (पूर्व एसपी, जिन्होंने इस्तीफा देकर चुनाव लड़ा), गौतम देब, नंदीग्राम के नायक कहे जाने वाले शुभेन्दु अधिकारी, क्रिकेटर लक्ष्मीरतन शुक्ला, अभिनेता राजीव बनर्जी, आदि प्रमुख चेहरे हैं, जिन्हें ममता बनर्जी की दूसरी इनिंग में उनके कैबिनेट में शामिल किया गया है।
शपथग्रहण समारोह का बंगाल के विपक्षी नेताओं ने बॉयकॉट किया। हालांकि, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और बाबुल सुप्रीयो, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उत्तर प्रदेश के सीएम अखिलेश यादव, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला समेत विभिन्न राज्यों के पहुंचे गैर-भाजपा दलों के कई नेता, क्रिकेटर सौरभ गांगुली, उद्योगपति संजीव गोयनका समेत कई हस्तियां समारोह में ममता बनर्जी को बधाई देने पहुंची थी। भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टौबगे और बांग्लादेश के उद्योगमंत्री अमीर हुसैन अमू भी पहुंचे थे।
आयोजन की तैयारी बड़े पैमाने पर की गई थी। रेड रोड पर 19 हजार दर्शकों और चार हजार विशेष अतिथियों को बिठाने की व्यवस्था की गई थी। शपथ ग्रहण मंच के अलावा दो और मंच बनाए गए थे। एक पर केंद्रीय मंत्री और दूसरे वीवीआईपी को बिठाया गया था। दूसरे मंच पर मंत्रिमंडल के सदस्य।