सीबीआई के स्पेशल जज भरत पराशर ने इस महीने 11 मार्च को आईपीसी की धाराओं 120 बी (आपराधिक साजिश), 409 (किसी लोकसेवक, बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून (पीसीए) के प्रावधानों के तहत छह आरोपियों को कथित अपराधों के लिए समन किया था। मनमोहन सिंह के अलावा समन किए जाने वालों में उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख, बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को, इसके अधिकारियों शुभेंदु अमिताभ और डी भट्टाचार्य शामिल हैं। दोषी ठहराए जाने पर आरोपियों को अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
यह मामला वर्ष 2005 का है, जब मनमोहन सिंह के पास कोयला मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार था। इसी दौरान बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को ओडिशा के तालाबीरा में दो कोयले के ब्लॉक आवंटित किये गए थे। इससे पहले ये ब्लॉक सार्वजनिक क्षेत्र की निवेल्ली लिग्नाईट कॉर्पोरेशन के पास थे। पिछले साल दिसंबर महीने में ही सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने मनमोहन सिंह के बयान को दर्ज करने का निर्देश जारी किया था। सीबीआई का कहना था कि उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री से पूछताछ की इजाजत नहीं मिली थी।