वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, एक्टिविस्ट प्रफुल्ल बिदवई को बिना किसी आडंबरयुक्त आयोजन के दिल्ली के लोदी रोड स्थित विद्युत शवदाहगृह में भाव-भीनी अंतिम विदाई दी गई । कल देर रात उनका पार्थिव शरीर नीदरलैंड्स के एम्सटर्डम से भारत लाया गया। प्रफुल्ल बिदवई का सोमवार की रात यानी 22 जून को वहां निधन हो गया था।
प्रफुल्ल बिदवई वामपंथी-प्रगतिशील विचारधारा के व्यक्ति थे, जिसकी झलक उनकी अंतिम यात्रा में भी दिखाई दी। फूलों के बीच परमाणु निरस्त्रीकरण और शांति का गठबंधन (सीएनडीपी) के बैनर लिपटा उनका शव, नेपथ्य में बज रहा था शास्त्रीय संगीत, जो प्रफुल्ल को बेहद प्रिय था और चारों तरह खड़ा उन्हें चाहने वालों, उनकी जनपषधर लेखनी को सम्मान की नजर से देखने वालों का समूह। वे सब एक दूसरे के साथ दुख साझा कर रहे थे, बिना किसी दिखावे के। इतने में वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी शम्सुल इस्लाम और नीलिमा ने गाना गाना शुरू किया, तुम नहीं रहे, इसका गम है पर, हम फिर भी लड़ते जाएंगे।–उनका साथ कइयों ने निभाया। फिर कुछ शोकसंदेश पढ़े गए, बहन आई और उनका शोक संदेश पढ़ा गया। फिर अंतिम यारा की ओर पार्थिव शरीर को ले जाया गया। साथियों के कंधों पर नारों के बीच उन्हें अंतिम विदाई दी। प्रफुल्ल बिदवई को श्रृद्धआंजलि देने के लिए वहां माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश कारात, भाकपा के महासचिव सुधाकर रेड्डी, सासंद डी. राजा, माकपा नेता बृंदा कारात, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, प्रभात पटनायक, एस.पी. उदयकुमार, सुव्रत राजु, जस्टिस राजेंद्र सच्चर, प्रो. अरुण कुमार, एम.के.रैना, शबनम हाशमी, पॉमिला फिलिपोस, पंकज सिंह, आनंद स्वरूप वर्मा, अचिन विनायक, अनिल चौधरी, सिद्धार्थ वरदराजन, भरत भूषण, रितू मेनन सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।