कोरोना के बढ़ते मामले के बीच हो रहे चुनाव प्रचार को लेकर बीते दिनों मद्रास हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को जमकर फटकार लगाई थी। कोर्ट यहां तक कहा था कि “आयोग के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना” चाहिए। जिसके बाद चुनाव आयोग ने इस टिप्पणी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि, अब चुनाव प्रचार और इसके परिणाम भी दो मई को आ चुके हैं। लेकिन, पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल की जमकर उड़ी धज्जियों को लेकर कोर्ट ने आयोग को 'सबसे ज्यादा गैर-जिम्मेदार संस्था' भी करार दिया था।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि जजों की भावना को उचित तरीके से समझने की कोशिश करें। आगे चुनाव आयोग के उस मांग को कोर्ट ने ठुकरा दिया जिसमें आयोग ने कोर्ट से मांग की थी कि हाईकोर्ट द्वारा की गई मौखिक टिप्पणी की रिपोर्टिंग पर रोक लगाई जानी चाहिए। इस मांग को मानने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया।
दरअसल, मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी ने 26 अप्रैल को कोरोना की बिगड़ती स्थिति को लेकर चुनाव आयोग पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर के लिए कहा था कि है चुनाव आयोग चुबाव में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करवाने में नाकाम रहा है औरव आयोग के अधिकारियों के ऊपर हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
एक मई को चुनाव आयोग की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में वकील अमित शर्मा ने याचिका में कहा था कि चुनाव आयोग का चुनाव का आयोजन उसका लोकतांत्रिक और संवैधानिक दायित्व है। हाई कोर्ट की ही तरह चुनाव आयोग भी एक संवैधानिक संस्था है। ऐसे में एक संस्था का दूसरी संस्था पर इस तरह की टिप्पणी करना उचित नहीं है। इससे दोनों संस्थाओं की छवि को आघात पहुंचा है।