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ऐसे ही कटती रही भैंसें तो तरस जाएंगे दूध को

भारत से जिस बड़ी तादाद में भैंस का मांस निर्यात हो रहा है उस हिसाब से आने वाले समय में यहां के लोग दूध को तरस सकते हैं। हाल ही में जारी यूएस कृषि विभाग (यूएसडीए) की रिपोर्ट बताती है कि इस मांस निर्यात का असर भारत के दूध उत्पादन पर होना तय है।
ऐसे ही कटती रही भैंसें तो तरस जाएंगे दूध को

यूएसडीए की ताजा रिपोर्ट कहती है कि स्लॉटर हाउसों में निर्यात करने के लिए मांस उत्पादन इसी प्रकार होता रहा तो दूध उद्योग बुरी तरह प्रभावित होगा। एक वर्ष में भैंस का दूध आधे दूध की जरूरतों की पूर्ति करता है। वर्ष 2023 तक दूध उत्पादन की स्थिति और खराब हो सकती है। पशुपालन विभाग, डेयरी और मछलीपालन विभाग की रिपोर्ट मानें तो भारत में केवल 5 फीसदी मांस खपत होता है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत से भैंस के मांस का निर्यात तेजी से बढ़ा है। इस समय भारत बीफ एक्सपोर्ट करने वाले दुनिया के बड़े देशों में से एक है।

 

वर्ष 2015 में देश में 37.96 लाख टन भैंस के मांस का उत्पादन होता था। इसमें से 20 लाख टन निर्यात किया गया। इस खपत की एक वजह यह भी हो सकती है कि देश में भी भैंस के मांस की मांग बढ़ी है। वर्ष 2009-10 में भारत से भैंस के मांस का निर्यात 4.90 लाख टन रहा तो वर्ष 2010-11 में यह बढ़कर 7.27 लाख टन हो गया। वर्ष 2015-16 में यह 13.14 लाख टन रहा। इस समय भारत मांस निर्यात करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश है।            

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