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मिथुन अब 'कोबरा', ममता का साया नई पारी में कितना पड़ेगा भारी

तमाम अटकलों के बार आखिरकार फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है।...
मिथुन अब 'कोबरा', ममता का साया नई पारी में कितना पड़ेगा भारी

तमाम अटकलों के बार आखिरकार फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। भाजपा के नए नवेले सदस्य मिथुन ने रविवार को कोलकाता की रैली में खुद को कोबरा कह डाला। ब्रिगेड मैदान पर मिथुन ने संबोधन के दौरान कहा कि मैं असली कोबरा हूं। डसूंगा तो तुम फोटो बन जाओगे। मैं जोलधरा सांप नहीं हूं, बेलेबोरा सांप भी नहीं, मैं कोबरा हूं। एक ही बार में काम तमाम कर दूंगा। इस ऐलान के साथ ही मिथुन भाजपा में शामिल हो गए।

सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती अपने फिल्मी करियर में कई बार राजनेता की भूमिका निभा चुके हैं। इसके बाद अब वह रियल लाइफ में भी कुछ ऐसा ही करते हुए दिख रहे हैं। कभी टीएमसी के राज्यसभा सदस्य रहे मिथुन अब भाजपा की ओर हाथ बढ़ा रहे है। यह कुछ ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई पुरानी फिल्म नए अवतार में फिर से रिलीज हो रही हो। मिथुन के इस फैसले के बाद सभी के मन में सवाल उठ रहे हैं कि बीते करीब पांच साल से सक्रिय राजनीति से दूरी बना चुके मिथुन ने अब फिर से पार्टी बदल कर कम बैक क्यों किया? संभावनाएं जताई जा रही है कि भाजपा की ओर से मिथुन चक्रवर्ती को पार्टी में विशेष स्थान मिल सकता है।

वहीं बात करें मिथुन की तो वह सीपीएम और खासकर पूर्व परिवहन मंत्री रहे सुभाष चक्रवर्ती के सबसे करीबी में से एक थे। उन्हें अक्सर कई कार्यक्रमों में साथ देखा गया था। इतना ही नहीं मिथुन कई बार खुद को वामपंधी भी बता चुके हैं।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में 2011 में ममता बनर्जी ने पहली बार भारी बहुमत से राज्य में अपनी सत्ता कायम की थी। तब ममता ने मिथुन को टीएमसी की ओर से राज्यसभा सदस्य बनने का न्योता दिया था। दिलचस्प बात है कि मिथुन हमेशा सीपीएम नेता और पूर्व खेल मंत्री दिवंगत सुभाष चक्रवर्ती के नजदीकी थे। हालांकि उन्होंने ममता दीदी के न्योते के बाद ही राजनीति जगत में सक्रिय भूमिका निभाई थी। उन्हें राजनीति में लाने का पूरा श्रेय ममता बनर्जी को ही जाता है।

लेकिन मिथुन चक्रवर्ती ने 2016 में राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे की वजह उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से पिछले दो सत्रों से सदन की बैठक में शामिल नहीं हो पाने की बताई थी। तब उनके डेढ़ साल का कार्यकाल बाकी था। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने भी मिथुन के इस्तीफे की पुष्टि कर दी थी, उनका कहना था कि भविष्य में मिथुन से पार्टी के रिश्ते बने रहेंगे।

बताया जाता है कि मिथुन चक्रवर्ती को शारदा चिट फंड घोटाले से कथित जुड़ाव को लेकर विरोधी हमेशा ही निशाना बनाते रहे हैं। इस मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय की ओर से उन्हें समन भी किया गया था। आशंका जताई जाती है कि उन्होंने स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से नहीं बल्की इस चिट फंड घोटाले के मामले की वजह से पार्टी से अपने हाथ पीछे खीचे थे।

 

 

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