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मोदी के बड़े समर्थक का बयान, वह अच्छे वक्ता लेकिन किसानों तक नहीं पहुंचा पाए बात

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है। इस बीच अर्थशास्त्री और लेखक गुरचरण दास ने कहा है कि...
मोदी के बड़े समर्थक का बयान, वह अच्छे वक्ता लेकिन किसानों तक नहीं पहुंचा पाए बात

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है। इस बीच अर्थशास्त्री और लेखक गुरचरण दास ने कहा है कि नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे बड़े कम्युनिकेटर होने के बाद भी किसानों तक अपनी बात पहुंचाने में कामयाब नहीं रहे।

बीबीसी हिंदी के अनुसार, गुरुचरण दास कृषि क्षेत्र में सुधार के एक बड़े पैरोकार हैं और मोदी सरकार द्वारा लागू किये गए तीन नए कृषि क़ानूनों को काफ़ी हद तक सही भी मानते हैं। मगर उनके अनुसार प्रधानमंत्री किसानों तक सही पैग़ाम देने में नाकाम रहे हैं। उनका कहना है कि नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे बड़े कम्युनिकेटर होने के बावजूद किसानों तक अपनी बात पहुंचाने में सफल नहीं रहे।

उन्होंने कहा, "मोदी जी की ग़लती ये थी कि उन्होंने सुधार को ठीक से नहीं बेचा है। अब आपको इसे ना बेचने का परिणाम तो भुगतना पड़ेगा। लोगों ने पोज़ीशन ले ली है। अब अधिक मुश्किल है।"

चीन में आर्थिक सुधार लाने वाले नेता डेंग ज़ियाओपिंग और ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर का उदाहरण देते हुए वो कहते हैं कि आर्थिक सुधार को लागू करने से अधिक इसका प्रचार आवश्यक है।

उन्होंने कहा, "विश्व में जो बड़े सुधारक हुए हैं, जैसे डेंग ज़ियाओपिंग और मार्गरेट थैचर, वो कहा करते थे कि वो 20 फीसदी समय रिफ़ॉर्म को लागू करने में लगाते हैं और 80 प्रतिशत वक़्त सुधार का प्रचार करने में।"


गौरतलब है कि मोदी सरकार द्वारा हाल में पारित किये गए तीन नए कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसान, ख़ासतौर से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान कड़ा विरोध कर रहे हैं और कुछ दिनों से लाखों की तादाद में राजधानी दिल्ली के बाहर धरने पर हैं। उनके प्रतिनिधियों और सरकार के बीच बातचीत के दो दौर हुए हैं लेकिन ये नाकाम रहे हैं। अगली बातचीत 5 दिसंबर को है।

किसानों की मांग है कि सरकार कृषि संबंधित नए क़ानून में संशोधन करके न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को क़ानून में शामिल करे और क़ानून में कृषि क्षेत्र में निजी कंपनियों को विनियमित करने के प्रावधान भी हों। किसानों की ये भी मांग है कि मंडियों का सिस्टम समाप्त न किया जाए।

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