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वाराणसी में गंगा आरती में शामिल हुए मोदी और जापानी पीएम आबे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शाम अपने जापानी समकक्ष शिंजो आबे के साथ वाराणसी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर भव्य गंगा आरती में हिस्सा लेकर दोनों देशों के बीच के पारंपरिक सांस्कृतिक संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ा। दोनों नेताओं ने दिल्ली में अपनी शिखर वार्ता के बाद वाराणसी की यात्रा की। वाराणसी प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है।
वाराणसी में गंगा आरती में शामिल हुए मोदी और जापानी पीएम आबे

दोनों नेताओं ने दशाश्वमेध घाट पर करीब 45 मिनट बिताए और गंगा आरती देखी। गंगा नदी के किनारे हर शाम गंगा आरती का भव्य आयोजन होता है। मोदी ने इससे पहले कहा था कि संस्कृति और लोग किसी रिश्ते में जान ला देते हैं। मोदी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आबे ने कहा, हमारे खास रिश्ते में एक मानवीय स्पर्श भी है। क्योटो-वाराणसी साझेदारी इसका एक ठोस संकेत है। आबे ने फूलों से सुंदर तरीके से सजाए गए घाट का जो दौरा किया वह इस वजह से काफी अहम है, क्योंकि यह क्योटो और वाराणसी के बीच हुए साझेदार शहर समझौते की पृष्ठभूमि में किया गया है। पिछले साल अगस्त में मोदी की जापान यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने इस समझौते पर दस्तखत किए थे। श्लोकों की गूंज के बीच मोदी और आबे ने नदी किनारे फूलों और एक गुलाब की माला का अर्पण किया। दोनों प्रधानमंत्री शनिवार की शाम करीब 6:30 बजे घाट पर पहुंचे। घाट पर दोनों नेताओं का स्वागत हर हर महादेव के नारों के साथ किया गया। वाराणसी में लोगों के अभिवादन का यह परंपरागत तरीका है।

 

मोदी कुछ सेकंड तक घाट की सीढि़यों पर खड़े रहे और लोगों का अभिवादन किया। इसके बाद दोनों नेता घाट की अंतिम सीढ़ी तक गए और वहां करीब 10 मिनट खड़े रहकर गंगा और भागीरथ का अभिषेक किया। भारतीय पौराणिक शास्त्रों में भागीरथ को वह राजा माना गया है जिसने नदी को धरती पर लाने का काम किया था। मोदी और आबे इसके बाद प्लेटफॉर्म पर अपनी सीटों पर बैठे और नौ पुजारियों एवं रिद्धियों एवं सिद्धियों का रूप धरे 18 लड़कियों की ओर से की जा रही गंगा आरती के दर्शन किए। गंगा आरती के दौरान आबे ने अपना कैमरा निकाला और तस्वीरें ली। भक्ति गीतों की गूंज के बीच दोनों प्रधानमंत्री खड़े हुए और गंगा आरती के समापन तक खड़े रहे। इसके बाद दोनों ने एक बार फिर अपने हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया। घाट से प्रस्थान करने से पहले आरती के आयोजकों की ओर से दोनों नेताओं को स्मृति चिन भेंट किया गया।

 

दोनों नेताओं की करीब चार घंटे की वाराणसी यात्रा के लिए करीब 7,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे। अमूमन खचाखच भरे रहने वाले घाट की सुरक्षा का जिम्मा थलसेना और नौसेना के हाथों में था जबकि अस्थाई मंच के चारों ओर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के स्कूबा गोताखोरों को तैनात किया गया था। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के जवान मंगलवार से ही शहर में डेरा डाले हुए थे। इस हाई प्रोफाइल दौरे के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था में नेशनल सिक्यूरिटी गार्ड, आतंकवाद निरोधक दस्ते, केंद्रीय अर्धसैनिक बल और राज्य पुलिस एसपीजी की मदद कर रहे थे।

 

 

 

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