फ्रांस के साथ हुए राफेल सौदे को लेकर घमासान जारी है। इस बीच नरेंद्र मोदी सरकार ने लड़ाकू विमान राफेल डील प्रक्रिया में एक कदम और आगे बढ़ाया है। केंद्र ने वायुसेना के लिए फ्रांस से खरीदे जा रहे विमानों के लिए फ्रांस सरकार को इस डील की 25 फीसदी राशि का भुगतान कर दिया है। यह डील 59 हजार करोड़ रुपए की मानी जा रही है।
भारत सरकार इंडियन एयरफोर्स के लिए फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीद रही है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, भारत सरकार ने इस डील को लेकर उठे तमाम आरोपों को नजरअंदाज करते हुए फ्रांस को इन विमानों के लिए राशि का भुगतान किया है।
वायुसेना के सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि राफेल फाइटर जेट को भारतीय जरूरतों के अनुरूप तैयार करने में थोड़ा समय लगेगा। सितंबर 2016 में हुए इस रक्षा समझौते में ही इस बात पर दोनों पक्ष एकमत हुए थे कि फ्रांस में बनने वाले इन विमानों को भारतीय आसमान में उड़ाने और वायुसेना की जरूरतों के अनुरूप तैयार किया जाएगा। दोनों देशों के बीच यह सौदा यूरोप की मुद्रा 7.9 बिलियन यूरो में हुआ है, जो भारतीय मुद्रा में करीब 59 हजार करोड़ होता है. वायुसेना के सूत्र ने बताया, ‘भारत सरकार ने डील के तहत तयशुदा शर्तों के अनुरूप 25 फीसदी से अधिक राशि का भुगतान फ्रांसीसी सरकार को किया है। दोनों देशों के बीच हुए करार में यह बात स्पष्ट रूप से कही गई थी कि राफेल के लिए दी जाने वाली राशि का भुगतान सरकार द्वारा सरकार को किया जाएगा। इसके तहत ही भारत सरकार ने फ्रांस की सरकार को इन पैसों का भुगतान किया है।’
2019 से पहले होगी राफेल फाइटर जेट की डिलीवरी
भारत-फ्रांस के बीच हुई इस डील की शर्तों के तहत भारत को सितंबर 2019 में पहले राफेल फाइटर जेट की डिलीवरी की जाएगी। सरकार चाहती है कि तय शेड्यूल के मुताबिक सितंबर 2019 में पहले राफेल लड़ाकू विमान की भारत को डिलीवरी मिल जाए। उम्मीद है कि इसके बाद 2020 के मध्य तक भारत को चार राफेल विमानों का पहला जत्था भी मिल जाएगा।
राफेल पर तकरार जारी
राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे को लेकर कांग्रेस पार्टी ने खुलेआम केंद्र सरकार, पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और रिलायंस के मुखिया अनिल अंबानी को निशाने पर बनाए रखा है। संसद के सत्र में भी इसकी जांच के लिए जेपीसी बनाने की मांग की जा रही है। हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान भाषणों, बयानों या रैलियों की बात हो या फिर अन्य मौकों पर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार इस सौदे में भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते रहे हैं। राहुल गांधी ने राफेल सौदे से सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएएल को निकालने, यूपीए के समय हुए सौदे से ज्यादा महंगा करार करने और रिलायंस को दसॉल्ट कंपनी का भारतीय पार्टनर बनाने को लेकर सवाल उठाया है। वहीं, भाजपा इसे देशहित में किया गया करार बताती रही है। भारतीय वायुसेना भी राफेल विमानों को सेना के लिए जरूरी बताती रही है। वहीं पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे को लेकर दायर याचिकाओं पर फैसला देते हुए इस समझौते की प्रक्रिया को सही करार दिया।