यानी हर साल औसतन 450 करोड़ रुपये सरकार की छवि चमकाने या फिर सरकारी योजनाओं की जानकारी देने में खर्च किए गए। ग्रेटर नोएडा के सूचना अधिकार कार्यकर्ता रामवीर सिंह ने यह जानकारी आरटीआई के जरिये हासिल की है यानी यह पूरी तरह आधिकारिक सूचना है।
रामवीर ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से पूछा था कि मोदी सरकार के गठन से अगस्त 2016 तक विज्ञापनों पर कितना सरकारी धन खर्च हुआ है। मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया कि सरकार ने ब्रॉडकास्ट, कम्युनिटी रेडियो, डिजिटल सिनेमा, इंटरनेट, दूरदर्शन, प्रोडक्शन, एसएमएस, टेलीकास्ट पर अबतक करीब 11 अरब यानी 1100 करोड़ रुपये खर्च किए। सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 1 जून 2014 से 31 मार्च 2015 तक लगभग 448 करोड़ रुपये खर्च किए गए। 1 अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2016 तक 542 करोड़ रुपये और 1 अप्रैल, 2016 से 31 अगस्त, 2016 तक 120 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इस तरह कुल 1111 करोड़ 78 लाख रुपये से अधिक का सरकारी धन मोदी सरकार के प्रचार पर खर्च हो चुका है।
गौरतलब है विपक्षी पार्टियां इस सरकार पर प्रचार-प्रसार की सरकार होने का आरोप लगाती रही हैं और उनका कहना है कि सरकार काम से ज्यादा काम का ढिंढोरा पीटने में भरोसा रखती है। अरबों का विज्ञापन खर्च कहीं न कहीं इस आरोप को सच साबित करता है।