बॉलीवुड के सुपरस्टार कहे जाने वाले अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं में हैं। बता दें कि चक्रवर्ती एक समय टीएमसी की ओर से राज्यसभा के सदस्य थे। इतना ही नहीं उन्हें सक्रिय राजनीति में लाने का श्रेय भी टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को ही जाता है। हांलाकि अब मिथुन ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। सभी के मन में हजारों सवाल होंगे कि टीएमसी से शुरुआत करने वाले मिथुन के जीवन में ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से सालों पहले उन्होंने इस पार्टी को छोड़ दिया और अब भाजपा का हाथ थाम फिर से वापसी कर रहे हैं। आईए जाने मिथुन चक्रवर्ती का राजनीतिक इतिहास-
मिथुन चक्रवर्ती ने 2016 में राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे की वजह उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से पिछले दो सत्रों से सदन की बैठक में शामिल नहीं हो पाने की बताई थी। तब उनके डेढ़ साल का कार्यकाल बाकी था। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने भी मिथुन के इस्तीफे की पुष्टि कर दी थी, उनका कहना था कि भविष्य में मिथुन से पार्टी के रिश्ते बने रहेंगे।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में 2011 में ममता बनर्जी ने पहली बार भारी बहुमत से राज्य में अपनी सत्ता कायम की थी। तब ममता ने मिथुन को टीएमसी की ओर से राज्यसभा सदस्य बनने का न्योता दिया था। दिलचस्प बात है कि मिथुन हमेशा सीपीएम नेता और पूर्व खेल मंत्री दिवंगत सुभाष चक्रवर्ती के नजदीकी थे। हालांकि उन्होंने ममता दीदी के न्योते के बाद ही राजनीति जगत में सक्रिय भूमिका निभाई थी। उन्हें राजनीति में लाने का पूरा श्रेय ममता बनर्जी को ही जाता है।
बताया जाता है कि मिथुन चक्रवर्ती को शारदा चिट फंड घोटाले से कथित जुड़ाव को लेकर विरोधी हमेशा ही निशाना बनाते रहे हैं। इस मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय की ओर से उन्हें समन भी किया गया था। आशंका जताई जाती है कि उन्होंने स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से नहीं बल्की इस चिट फंड घोटाले के मामले की वजह से पार्टी से अपने हाथ पीछे खीचे थे।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने शनिवार रात ट्विटर पर मिथुन के साथ कुछ तस्वीरे साझा की थी। जिससे साफ हो गया था कि मिथुन अब टीएमसी को छोड़ भाजपा का हाथ थामने जा रहे हैं।