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गंदगी फैलाने वालों को 'वंदे मातरम्' बोलने का हक नहीं: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री का यह भाषण स्वामी विवेकानंद के शिकागो विश्व धर्म संसद में दिए भाषण के 125 साल पूरे होने और पंडित दीनदयाल उपाध्याय शताब्दी समारोह के मौके पर ‌दिया गया है।
गंदगी फैलाने वालों को 'वंदे मातरम्' बोलने का हक नहीं: पीएम मोदी

नरेंद्र मोदी ने सोमवार सुबह 11 बजे से देशभर की 40 हजार यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के विद्यार्थिययों को संबोधित किया।प्रधानमंत्री का यह भाषण स्वामी विवेकानंद के शिकागो विश्व धर्म संसद में दिए भाषण के 125 साल पूरे होने और पंडित दीनदयाल उपाध्याय शताब्दी समारोह के मौके पर ‌दिया गया है, जिसकी थीम यंग इंडिया-न्यू इंडिया पर केन्द्रित है।

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, "विवेकानंद जी ने आइडिया को आइडियलिज्म में कनवर्ट किया। उन्होंने रामकृष्ण मिशन को जन्म दिया, लेकिन विवेकानंद मिशन को जन्म नहीं दिया। क्या कभी किसी ने सोचा कि किसी लेक्चर के 125 वर्ष मनाएं जाएंगे। जब इस भाषण की शताब्दी मनाई गई थी, तब मैं शिकागो में था। पीएम ने कहा कि जब तेज आवाज में वंदे मातरम् सुनो तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पीएम ने कहा कि क्या हमें वंदे मातरम् कहने का हक है। ये बात लोगों को चोट पहुंचाएगी। मोदी ने कहा कि लोग पान खाकर भारत मां पर पिचकारी मारते हैं और फिर वंदे मातरम् बोलते हैं। बस सफाई का काम करने वालों को वंदेमातरम् बोलने का हक है।" 

प्रधानमंत्री ने कहा, ''जब वंदे मातरम कहते हैं, तब भारत भक्ति का भाव जागृत होता है। लेकिन मैं इस सभागार में बैठे लोगों के साथ पूरे हिस्दूस्तान से यह पूछना चाहता हूं कि क्या हमें वंदे मातरम कहने का हक है ? मैं जानता हूं कि मेरी यह बात कई लोगों को चोट पहुंचायेगी । लेकिन मैं फिर भी कहता हूं, 50 बार सोच लिजिए कि क्या हमें वंदे मातरत कहने का हक है ? मोदी ने कहा, ‘‘हम पान खाकर भारत माता पर पिचकारी करते हैं और फिर वंदे मातरम कहते हैं । सारा कूड़ा कचरा भारत माता पर फेंक देते हैं और फिर बंदे मातरम बोलते हैं । इस देश में वंदे मातरम कहने का सबसे पहला हक अगर किसी को है, तब देश भर में सफाई कार्य करने वाले हैं । यह हक भारत माता की उन सच्ची संतानों को है जो सफाई कार्य करते हैं।''

उन्होंने कहा, ‘‘और इसिलए हम यह जरूर सोचें कि सुजलाम, सुफलाम भारत माता की हम सफाई करें या नहीं करें लेकिन इसे गंदा करने का हक हमें नहीं है।’’ उन्होंने कहा कह गंगा के प्रति श्रद्धा का भाव हो, हम यह जरूर सोचते है कि गंगा में डूबकी लगाने से हमारे पाप धुल जाते हैं, हर नौजवान सोचता है कि वह अपने मां, बाप को एक बार गंगा में डूबकी लगवाएं लेकिन क्या उसकी सफाई के बारे में सोचते हैं । क्या आज स्वामी विवेकानंद जीवित होते, तब हमें डांटते नहीं?

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सोचते हैं कि हम इसलिए स्वस्थ हैं क्योंकि अच्छे से अच्छे अस्पताल एवं डाक्टर हैं । लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम केवल अच्छे से अच्छे अस्पताल और उत्तम डाक्टर के कारण स्वस्थ नहीं हैं बल्कि हम स्वस्थ इसलिए हैं क्योंकि हमारे सफाई कर्मी साफ सफाई रखते हैं ।

उन्होंने कहा, ‘‘डॉक्टर से भी ज्यादा आदर का भाव हम जब सफाईकर्मियों को देने लगे तब वंदे मातरम कहने का आनंद आयेगा।’’ मोदी ने कहा कि हम साल 2022 में आजादी के 75 साल मनाने जा रहे हैं । तब क्या हम कोई संकल्प ले सकते हैं क्या ? यह संकल्प जीवन भर के लिये होना चाहिए । मैं यह करूंगा, यह दृढ़ता होनी चाहिए।''

प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में छात्र जीवन एवं छात्र राजनीति का जिक्र किया और कहा कि आज तक मैंने नहीं देखा कि छात्र संघ चुनाव में किसी उम्मीदवार ने यह कहा हो कि हम कैम्पस को साफ रखेंगे। हमने यह देखा होगा कि चुनाव के दूसरे दिन कालेज या विश्वविद्यालय कैम्पस की क्या स्थिति रहती है लेकिन इसके बाद हम फिर वंदे मातरम कहते हैं।

उन्होंने कहा कि क्या हम नहीं चाहते कि हम अपने देश को 21वीं सदी का भारत बनाये, गांधी, भागत सिंह, राजगुरू, आजाद, विवेकानंद, सुभाष चंद्र बोस के सपनों का भारत बनाये । यह हमारा दायित्व है और हमें इसे पूरा करना है ।

मोदी ने कहा कि विवेकानंद जी के दो रूप थे, विश्व में वे जहां भी गए बड़े विश्वास के साथ भारत का महिमामंडन करते थे। विवेकानंद हमारे समाज के अंदर की बुराइयों को कोसते थे, और उनके खिलाफ आवाज उठाते थे। वे दुनिया में भारत की तारीफ करते थे, लेकिन भारत में आकर समस्याओं को उठाते थे। वे जीवन में कभी गुरु खोजने को नहीं गए थे, वे सत्य की तलाश में थे। महात्मा गांधी भी जीवन भर सत्य की तलाश में घूमते रहे।

 बता दें कि इस भाषण के लिए लाइव टेलिकास्ट के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने पहले ही सर्कुलर जारी किया था।

ममता ने जताया विरोध

पश्चिम बंगाल सरकार ने यूजीसी का ऑर्डर मानने से इनकार कर दिया। साथ ही केंद्र सरकार पर शिक्षा व्यवस्था के भगवाकरण का आरोप लगाया।

बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, ''केंद्र सरकार का पूरा प्रयास है कि शिक्षा व्यवस्था का 'भगवाकरण' कर दिया जाए। राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ जाकर हम कॉलेजों में पीएम की स्पीच का लाइव टेलिकास्ट नहीं करा सकते हैं।''

ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की सभी यूनिवर्सिटी और संस्थान से कहा है कि वे 11 सितंबर को पीएम का भाषण टेलिकास्ट करने के लिए यूजीसी का कोई आदेश नहीं मानें।

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