जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को आरोप लगाया कि प्रदेश के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की नई भूमि नीति ने सात दशक पुराने भूमि सुधार को पलट दिया है।
उमर ने कहा कि केंद्र सरकार ने 1950 के शुरुआती दशत में ऐतिहासिक भूमि सुधार कानून बनाया था, जिसमें प्रदेश को सशक्त बनाने तथा गरीबी को कम करने का काम किया था।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर लिखा,“केंद्र सरकार द्वारा 1950 के शुरुआती दशक में तैयार किये गए ऐतिहासिक भूमि सुधारों ने प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों को सशक्त बनाने और गरीबी में उल्लेखनीय कमी लाने का काम किया, लेकिन मोदी सरकार ने नई भूमि नीति के जरिये उसे पूरी तरह से पलट दिया।”
इससे पहले उन्होंने कहा,“प्रदेश की भूमि स्वामित्व को लेकर किए संशोधन अस्वीकार्य है। स्थानीय निवास के नियम को खत्म किया गया, जबकि गैर-कृषि भूमि खरीदने और कृषि भूमि के हस्तांतरण को आसान बनाया गया है। जम्मू- कश्मीर अब बिक्री के लिए तैयार है और गरीब छोटे भूमि रखने वाले मालिकों को नुकसान होगा।”
उन्होंने कहा, “दिलचस्प है कि केंद्र ने लद्दाख में होने वाले निकाय चुनावों तक इंतजार किया और भाजपा ने लद्दाख को बिक्री के लिए खड़ा करने से पहले बहुमत हासिल कर किया। लद्दाख के निवासियों को भाजपा के आश्वासनों पर विश्वास करने का फल मिला है।”