नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने गुरुवार को कहा कि मोन जिले में सुरक्षा बलों द्वारा नागरिकों की हत्या सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम का "दुरुपयोग का स्पष्ट मामला" है। उन्होंने यह भी कहा कि पांच दिन पहले हुई यह घटना पहला उदाहरण नहीं था जब लोगों को कठोर कानून का खामियाजा भुगतना पड़ा।
13 नागरिकों की याद में सरकार द्वारा आयोजित 'इन मेमोरियम' कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि "भारतीय सुरक्षा बलों के सबसे दुर्भाग्यपूर्ण और लापरवाह कृत्य" से निर्दोष लोगों की जान चली गई है। उन्होंने कहा अफ्सपा औपनिवेशिक उत्पत्ति वाला कानून है और मानवाधिकारों का उल्लंघन है क्योंकि यह केवल संदेह पर हत्या को वैध बनाता है और नगालैंड के लोग इसे निरस्त करने की मांग करना जारी रखेंगे।
कोन्याक समुदाय के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने उनसे शांति बनाए रखने की अपील की। रियो ने कहा, "यह आपके लिए अहिंसा से हिंसा को हराने का समय है। यह सबसे बड़ी नागा जनजाति के लिए दुनिया को यह दिखाने का समय है कि उनका भी सबसे बड़ा दिल है।"
उन्होंने सभी नागा राजनीतिक समूहों से "हथियारों को विदाई देने" की अपील करने का आग्रह किया। रियो ने कहा,"जब तक हम खुद को शांतिप्रिय और अहिंसक लोग नहीं दिखाते और साबित नहीं करते हैं, तब तक अफ्सपा को निरस्त करने की हमारी मांग पर कोई असर नहीं पड़ेगा... मान लें कि हम अफ्सपा नहीं चाहते हैं। लेकिन हम यह भी दिखा दें कि हमें अफ्सपा की जरूरत नहीं है। आइए हम यह भी सुनिश्चित करें कि हम किसी भी तरह से किसी भी ताकत को कड़ी मेहनत से हासिल की गई शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारने की अनुमति न दें।"
नगा पीपुल्स फ्रंट विधायक दल के नेता टी आर जेलियांग ने अफस्पा को एक "काला कानून" कहा, जिससे देश या उसके लोगों का कोई भला नहीं हुआ है। "बल्कि इसने देश को शर्मसार किया है"। इसलिए देश के नेताओं के लिए इस तरह के कृत्य को तत्काल निरस्त करने का समय आ गया है ताकि अपने नागरिकों के साथ की जाने वाली अमानवीय गतिविधियों को रोका जा सके।
उन्होंने कहा कि नागालैंड सरकार राज्य में अफस्पा लागू करने के खिलाफ लगभग हर साल गृह मंत्रालय को पत्र लिखती रही है। लेकिन केंद्र 1997 से एनएससीएन (आईएम) के साथ संघर्ष विराम समझौते के बाद अगस्त 2015 में फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर करने और नवंबर 2017 में सहमत स्थिति के बावजूद हमारे राज्य में अफस्पा के विस्तार के साथ जारी है।
उन्होंने कहा, "यह साबित करता है कि संविधान में निहित भावना में संघवाद और व्यवहार में एकात्मकता की अवधारणा पराजित हो गई है।"
जेलियांग ने कहा कि पूरे उत्तर पूर्व के लिए एक साथ आने और अपने भविष्य के लिए लड़ने का समय आ गया है।
कोन्याक यूनियन की कोहिमा इकाई के अध्यक्ष एच अंगनेई कोन्याक ने मीडिया के एक वर्ग पर उनकी रिपोर्ट के लिए निशाना साधा जिसमें उन्होंने शनिवार को ओटिंग गांव में सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए 13 कोयला खदान श्रमिकों और दैनिक वेतन भोगी को विद्रोही बताया था।
उन्होंने कहा कि इसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संसद में बयान के साथ जोड़ा गया है कि नागरिकों को उस समय गोली मार दी गई जब उन्होंने सुरक्षा बलों के रुकने के आदेश पर ध्यान नहीं दिया और भागने की कोशिश की, जिससे लोगों में दर्द और गुस्सा पैदा हुआ।
उन्होंने कहा, "हमारी भूमि में शांति का अस्तित्व एक कठिन कमाई है," उन्होंने कहा और बिना किसी देरी के "कठोर" अफस्पा को रद्द करने के लिए रियो के आग्रह को प्रतिध्वनित किया। कोन्याक ने कहा, "नागा देश में एक और ओटिंग नहीं देखना चाहते... बेगुनाह नागरिकों की मौत पर हमारा दिल भारी है।"