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तीस्ता की गिरफ़्तारी पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद आनंद की गिरफ़्तारी पर 20 फरवरी तक रोक लगा दी है।
तीस्ता की गिरफ़्तारी पर रोक

इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने तीस्ता और जावेद की अग्रिम जमानत याचिका रद्द कर दी थी जिससे उनकी गिरफ्तारी की आशंका बढ़ गई थी।

उन पर 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों के लिए मिले फंड के दुरुपयोग का आरोप है।

गुजरात दंगों के लिए तीस्ता तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाती रही हैं। तीस्ता मोदी और गुजरात की भारतीय जनता पार्टी सरकार की आलोचना करती रही हैं। वह शुरुआत से ही कहती रही हैं कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है। उनके समर्थक भी मानते हैं कि तीस्ता पर बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद को कल तक गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया जाता है। न्यायालय इनके मामले की कल सुनवाई करेगा।

इस दंपति ने अदालत से अनुरोध किया था कि उसे शीर्ष अदालत में अपील करने का मौका देने के लिये इस आदेश पर रोक लगायी जाये लेकिन उच्च न्यायालय ने अनुरोध ठुकरा दिया था। इसके बाद एक घंटे के भीतर ही तीस्ता और उनके पति ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।

उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि सीतलवाड़ जांच में सहयोग नहीं कर रही हैं और ऐसी स्थिति में उन्हें पूरी तरह अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है।

जारी सीतलवाड़ और उनके पति के खिलाफ अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसायटी में संग्रहालय के निर्माण से संबंधित मामले में गुजरात पुलिस की अपराध शाखा ने धोखाधड़ी, अमानत में खयानत और आयकर कानून के तहत मामला दर्ज किया है।

2002 में दंगों के दौरान आग की भेंट चढ़ी गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी के ही एक दंगा पीडि़त ने तीस्ता, उनके पति जावेद और उनके दो गैर सरकारी संगठन सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस और सबरंग ट्रस्ट के खिलाफ अहमदाबाद पुलिस में शिकायत दर्ज करायी थी। 

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