दिल्ली के एक बिजनेस अखबार में छपी खबर के अनुसार राव इंद्रजीत को संभवतः इस्राइल की कंपनी का विरोध करने और इटली की कंपनी का पक्ष लेने के कारण इस मंत्रालय से हटाया गया है। राव इंद्रजीत को रक्षा मंत्रालय से हटाकर नियोजन एवं शहरी विकास मंत्रालय का राज्य मंत्री बनाया गया है।
अखबार का दावा है कि पिछले 25 जून को रक्षा मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय बैठक में सिंह ने सेना के 44 हजार कार्बाइन की खरीद की पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए थे। सूत्रों के अनुसार सिंह का आरोप था कि सेना और रक्षा मंत्रालय की खरीद इकाई ने कंपनी के चयन में गलत और अनुचित प्रक्रिया अपनाई जिसके कारण सिर्फ एक कंपनी, इस्राइल की आईडब्ल्यूआई की इस प्रक्रिया में अंतिम भागीदार बच गई थी। राव इंद्रजीत चाहते थे कि टेंडर प्रक्रिया में इटली की कंपनी बरेटा को भी शामिल किया जाए जबकि बरेटा की कार्बाइन को सेना के ट्रायल में पहले ही विफल घोषित कर दिया गया था। अखबार ने लिखा है कि राव इंद्रजीत इतने भड़के हुए थे कि उन्होंने पूरी चयन प्रक्रिया की सीबीआई जांच की मांग कर डाली। इतना ही नहीं तब उन्हें शांत करने के लिए खुद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को बीच-बचाव करना पड़ा था।
दूसरी ओर इस उच्च स्तरीय बैठक में खरीद इकाई की ओर से शामिल हुए प्रतिनिधियों ने चयन प्रक्रिया में किसी भी गलती से इनकार किया और यह तर्क रखा कि अब किसी दूसरी आपूर्तिकर्ता कंपनी को इस प्रक्रिया में शामिल करने से पूरी खरीद कानूनी पचड़े में फंस सकती है।
वैसे राव इंद्रजीत जिस बरेटा कंपनी की तरफदारी कर रहे हैं, भारत में उसके प्रमोटर पहले बीएसएफ को घटिया सब मशीनगन सप्लाई करने के विवाद में घिर चुके हैं। अखबार ने लिखा है कि राव इंद्रजीत सिंह इस मामले में करीब डेढ़ साल पहले से रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को पत्र लिख रहे हैं। उन्होंने मामले में तब दखल दिया था जब आर्मी बरेटा की कार्बाइन को लेजर साइट ठीक नहीं होने के कारण विफल घोषित कर दिया था। इस बारे में सिंह का कहना है कि सीबीआई जांच यह पता लगाने के लिए जरूरी है कि आर्मी ने किस तरह 'एकमात्र वेंडर' आईडब्ल्यूआई को चुना।