जन-धन योजना, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, आदर्श ग्राम योजना, मेक इन इंडिया जैसी कई योजनाओं की घोषणा हुई लेकिन एक साल हकीकत यह है कि इन योजनाओं में कोई ऐसी योजना नहीं है जो पूरी हुई है। शुरुआत जरुर हुई है लेकिन ऐसी शुरुआत हुई कि उसका असर कहीं नहीं दिख रहा है। आदर्श ग्राम योजना के तहत अभी तक लोकसभा के 45 और राज्यसभा के 56 सांसदों ने किसी गांव को गोद नहीं लिया। डिजिटल इंडिया भी करीब दस महीने बाद लांच हुआ। स्किल इंडिया योजना अभी कागजों ही दिखाई पड़ रही है।
महंगाई बढ़ रही है और प्रधानमंत्री लालकिले के प्राचीर से यह घोषणा कर रहे हैं कि महंगाई दर 10 प्रतिशत से 3-4 प्रतिशत तक लाने में सफल हुए हैं। पेट्रोल, डीजल और सोने के दाम में गिरावट अगर महंगाई कम होने का मापदंड है तो दाल, तेल, घी जो महंगा हुआ उसके बारे में क्या कहा जाए।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में यह कहा कि 18500 गांवों में बिजली का तार नहीं पहुंचा। लेकिन यह नहीं बता पाए कि एक साल में कितने गांवों में बिजली का तार पहुंच चुका है। कृषि मंत्रालय का नाम बदल गया लेकिन इससे क्या होगा? क्या यह मंत्रालय ज्यादा काम करने लगेगा। भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री ने करारा प्रहार किया लेकिन काला धन लाने के लिए क्या किया गया यह नहीं बता पाए। स्कूलों में टाॅयलेट की बात भी की और कहा कि देश के सारे स्कूलों में शौचालय का लक्ष्य पूरा हो चुका है लेकिन हकीकत यह है कि 45 फीसदी ही सफलता मिली है।
प्रधानमंत्री के भाषण की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने कहा कि आतंकवाद और विदेश नीति पर कोई चर्चा नहीं हुई। वन रैंक वन पेंशन को लेकर पूर्व सैनिकों को भी निराश किया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कोई नई बात नहीं की है। जिन योजनाओं की चर्चा हुई वह संप्रग सरकार के कार्यकाल की थी।