प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए चिदंबरम ने कहा कि वह 'अति केंद्रीकृत' सरकार चला रहे हैं और अगर यह इसी तरह से जारी रहा तब काफी आगे नहीं जाएगी। प्रधानमंत्री पर चुटकी लेते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री से अब भारत के मुख्यमंत्री में परिवर्तित हो गए हैं। पूर्ववर्ती संप्रग सरकार में वित्त और गृह मंत्री का कार्यभार संभालने वाले चिदंबरम ने उन आरोपों को खारिज कर दिया जिनमें कहा गया है कि कांग्रेस संसद में अवरोधक भूमिका निभा रही है और कहा कि विपक्ष का कर्तव्य मुद्दों को उठाना है। चिदंबरम ने कहा, वह एक भी ऐसा वाकया इंगित नहीं कर सके जहां सोनिया गांधी ने कोई सरकारी निर्णय लिया हो।
चिदंबरम ने कहा, संप्रग का प्रत्येक निर्णय या तो कैबिनेट या कैबिनेट समिति द्वारा लिया जाता था। आप निर्णयों की गुणवत्ता के आधार पर आलोचना कर सकते हैं। लेकिन कोई भी कैसे इस बात से इंकार कर सकता है कि निर्णय या तो कैबिनेट या संबंधित कैबिनेट समिति द्वारा लिए जाते थे ? भाजपा के मुख्य मुद्दों पर आगे बढ़ने का जनादेश नहीं होने के अध्यक्ष अमित शाह के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, सरकार और सत्तारूढ पार्टी अपने असनी रंग को छिपा रही है। उन्होंने कहा, समय-समय पर अमित शाह के जैसे बयानों से सही रंग सामने आ जाता है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, हम पराजित हो गए। हमने इसे स्वीकार किया। हम विपक्ष में हैं। आप सरकार में हैं। आप सहज नहीं दिख रहे हैं। भाजपा सरकार में सहज नहीं दिख रही है। मोदी सरकार पर पूर्ववर्ती संप्रग सरकार की योजनाओं की नकल करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने इस संबंध में जेएनएनयूआरएम योजना का जिक्र किया। उन्होंने कहा, इन्होंने अन्य चीजों में ऐसा ही किया है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन को अब स्किल इंडिया बना दिया गया है। वित्तीय समावेशिता, शून्य अधिशेष खाता को अब जन धन योजना बना दिया गया। एलपीजी के लिए डीबीटीएल योजना को अब पहल नाम दे दिया गया।
निर्मल भारत अभियान अब स्वच्छ भारत बन गया। आम आदमी बीमा योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना भी अब दूसरी बीमा योजनाएं बन गई। इसमें नया क्या है? वह जेएनएनआयूएम का नामाकरण अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर कर देंगे। मुझे कोई शिकायत नहीं है। मैं केवल इतना ही कह सकता हूं कि यह छोटी मानसिकता है। उन्हें नई महत्वपूर्ण परियोजना का नाम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने से कौन रोक रहा है? अगर वह ऐसा करेंगे तो हम सब काफी खुश होंगे।