केन्द्र सरकार की तरफ से लाए गए तीनों नए कृषि कानूनों के विरोध में 21 दिनों से देशभर के किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच आज यानी बुधवार को किसानों ने दिल्ली-नोएडा सड़क वाले चिल्ली बॉर्डर को पूरी तरह से बंद कर दिया है। किसानों का कहना है कि वो इस आंदोलन को और विशाल बनाएंगे। वहीं, किसानों का भाजपा पर आरोप है कि पार्टी कृषि कानूनों को प्रमोट करने के लिए एक कैंपेन की शुरुआत कर रही है।
इससे पहले सिंघु बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन के दौरान किसान नेताओं ने मंगलवार को कहा कि लड़ाई ऐसे दौर में पहुंच गई है, जहां पर हम जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं। किसान नेता इंद्रजीत दीघे ने कहा कि आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को लोग 20 दिसंबर को गांवों, प्रखंडों में श्रद्धांजलि देंगे। उन्होंने कहा कि सोमवार को देश के 350 जिलों में हमारा प्रदर्शन सफल रहा, किसानों ने 150 टोल प्लाजा को ‘मुक्त’ कराया।
किसान नेता इंद्रजीत सिंह ने कहा था कि यह एक ऐतिहासिक आंदोलन है और किसानों की एकता को तोड़ने की हर संभव कोशिश विफल होगी। उन्होंने कहा कि कल 150 टोल प्लाजा फ्री हुए, 350 गांव में आंदोलन हुआ। उससे सरकार बौखला गई है। अब उन्होंने फुट डालने के लिए एसवाईएल का मुद्दा उठा दिया है। 21 दिन में पानी मांग रहे हैं। ये ऐतिहासिक आंदोलन है। इसकी एकता नहीं तोड़ी जा सकती। ये कामयाब नहीं होने वाला। पहले से योजना बनाकर कॉरपोरेट्स ने कानून बनवाये।
वहीं, किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि सरकार का रवैया हैरान करने वाला है। पीएम एक तरफ कह रहे हैं कि वे किसानों के साथ हैं और दूसरी तरफ फिक्की की सभा में कॉर्पोरेट्स को कह रहे हैं कि वे कृषि क्षेत्र में आएं। उन्होंने कहा कि किसान अपनी जिद पर है.।सरकार ये गलतफहमी निकाल दें कि इनकी संख्या घटेगी।हम पीछे हटने वाले नहीं हैं।