निर्भया गैंगरेप मामले में दोषी अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर भानुमति, अशोक भूषण और ए एस बोपन्ना की बेंच ने सुनवाई पूरी कर ली है। इस पर दोपहर एक बजे फैसला सुना दिया जाएगा। कल चीफ जस्टिस बोबडे ने सुनवाई से खुद को अलग किया था, इसलिए नई बेंच बनाई गई थी। जस्टिस भानुमति और भूषण इससे पहले तीन दोषियों की याचिका खारिज करने वाली बेंच का हिस्सा रहे हैं।
इस मुजरिम ने इस मामले में उसके मृत्युदंड को बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले की समीक्षा करने की मांग की है। शीर्ष अदालत ने पिछले साल नौ जुलाई को इस मामले के तीन दोषियों मुकेश, पवन और विनय की पुनर्विचार याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि इनमें 2017 के फैसले पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं है।
सुनवाई से पहले निर्भया की मां का बयान
सुनवाई से पहले निर्भया की मां ने कहा कि हमें विश्वास है कि हमें न्याय मिलेगा क्योंकि हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। अगर कुलदीप सेंगर (उन्नाव रेप कांड में दोषी करार) और निर्भया के चारों दोषियों को फांसी होती है तो समाज में एक कड़ा संदेश जाएगा।
परिजनों ने की दोषियों को जल्द फांसी देने की मांग
वहीं, दूसरी ओर निर्भया के परिजनों ने शुक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट में अपनी बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी निर्मम हत्या के दोषियों को जल्द फांसी देने की मांग की है। इस पर दिल्ली की अदालत ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार करेगी, जहां 17 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई होनी है। निर्भया के परिजन अपनी बेटी के साथ हुए जघन्य अपराध के सात साल बाद भी उसके हत्यारों को फांसी दिए जाने का इंतजार कर रहे हैं।
जज सतीश कुमार अरोड़ा ने कहा कि शीर्ष अदालत की सुनवाई समाप्त होने के बाद इस मामले को पारित किया जा सकता है। शीर्ष अदालत मंगलवार को सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों में से एक अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगी। अदालत में सुनवाई की अगली तारीख 18 दिसंबर है।
अक्षय ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कही ये बातें
निर्भया रेप और हत्याकांड के दोषी अक्षय कुमार ने अपनी अर्जी में कहा है कि दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है। यहां का पानी जहरीला हो चुका है और ऐसे में जब खराब हवा और पानी के चलते उम्र पहले से ही कम से कम होती जा रही है फिर फांसी की सजा की जरूरत क्यों है।
मौत की सजा बरकरार रही
शीर्ष अदालत ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली हाई कोर्ट और निचली अदालत के सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में दी गई सजा को बरकरार रखा था। मामले के एक अन्य आरोपी राम सिंह ने यहां तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। एक किशोर अभियुक्त तीन साल की सजा काट बाहर आ चुका है।
जानें क्या है पूरा मामला
2012 में इन 6 लोगों ने दिल्ली में चलती हुई बस में 23 साल की पैरा मेडिकल छात्रा के साथ गैंगरेप किया था। गैंगरेप के बाद इन्होंने पीड़िता के निजी अंगों को लोहे की रोड से नुकसान पहुंचाया था। बाद में सभी दोषी पीड़िता और उसके दोस्त को सड़क पर फेंककर भाग गए थे। पीड़िता ने अस्पताल में दम तोड़ दिया था।