न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शर्मा को आदेश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर इस बात का जवाब दें कि उन पर किसी जनहित याचिका की पैरवी करने से रोक क्यों न लगा दी जाए।
संविधान पीठ ने अपने आदेश में कहा, रिट याचिका की सामग्री पर विचार के बाद हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता (शर्मा) को नोटिस जारी किया जाए कि याचिका में उन्होंने जो गैर जिम्मेदाराना और अपमानजनक आरोप लगाए हैं, उन्हें देखते हुए उन्हें किसी जनहित याचिका की पैरवी करने से प्रतिबंधित क्यों न कर दिया जाए। इस पीठ में न्यायमूर्ति जे.चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति एम.बी. लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल भी शामिल हैं।
पीठ ने कहा कि शर्मा शीर्ष अदालत में अकसर जनहित याचिकाएं दाखिल करते हैं। पीठ ने कहा, आप सोचते हैं कि आप किसी स्थान पर किसी के खिलाफ आरोप लगा सकते हैं। यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है। आप बचकानी बात कर रहे हैं।