सोनिया गांधी ने इस बात का उल्लेख किया कि पिछले दो दशकों से भी अधिक समय में जम्मू कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को बल मिला है और ये बेकार नहीं जाना चाहिए। एक बयान में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी मामलों पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता और आतंकवाद से कड़ाई से निपटा जाना चाहिए। इसके बावजूद हमारे इतने सारे नागरिकों की मौत और सुरक्षा बलों पर हमले पीड़ादायक हैं।
घाटी के लोगों से अपील करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वे राजनीतिक दलों को उनकी आकांक्षाओं को सार्थक तरीके से पूरा करने के ठोस और स्थायी समाधान को शांतिपूर्ण तथा लोकतांत्रिाक तरीके से ढूंढने दें। कश्मीर में शुक्रवार को मुठभेड़ में वानी की मौत के बाद प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुए संघर्ष में 23 लोग मारे गए हैं। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने भी घाटी में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर चिंता जाहिर की और कहा कि बड़ा नुकसान हुआ है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने कहा कि और अधिक लोगों की जान जाने से पहले जल्द से जल्द कानून व्यवस्था की बहाली सुनिश्चित करना वक्त की जरूरत है। आजाद ने हिंसा में घायल 200 से अधिक नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों के जल्द स्वस्थ होने की भी कामना की।