हालांकि इस घटना के बाद प्रशासन हरकत में आया है। उसने अब श्मशानघाट और रास्ते को लेकर नए सिरे से जमीन मापन करने का फैसला लिया है। सूत्रों के अनुसार बम्हनौदा ग्राम पंचायत के बिहर गांव में श्मशानघाट तक जाने का रास्ता तालाब के मेढ़ से होकर गुजरता है। हाल ही में तालाब का गहरीकरण होने से मेढ़ टूट चुकी है। वहां पर चार फीट पानी भरा हुआ है। वैकल्पिक रास्ता दबंग नलिन शर्मा के भूखंड से होकर निकलता है।
70 वर्षीय कांतिबाई पटेल की शवयात्रा तालाब के रास्ते में पानी भरा होने की वजह से शर्मा की जमीन से गुजरी। नागरिकों को आरोप है कि शर्मा ने अपनी जमीन के रास्ते से शवयात्रा निकलने से रोक दिया। इसकी वजह से शवयात्रा को तालाब के चार फीट पानी से ले जाना पड़ा।
जैसे ही शवयात्रा श्मशानघाट पहुंची, वहां की सरकारी जमीन पर धान का रोपा लगा हुआ था। शवयात्रा लेकर पहुंचे लोग पशोपेश में पड़ गए कि अंतिम संस्कार कहां किया जाए। बाद में निजी जमीन पर अंतिम संस्कार किया गया।