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नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों में बवाल, त्रिपुरा में 48 घंटे के लिए इंटरनेट बंद

नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में पूर्वोत्तर के राज्यों में मंगलवार को जमकर बवाल हुआ। अरुणाचल में...
नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों में बवाल, त्रिपुरा में 48 घंटे के लिए इंटरनेट बंद

नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में पूर्वोत्तर के राज्यों में मंगलवार को जमकर बवाल हुआ। अरुणाचल में जनजीवन खासा प्रभावित रहा। इस दौरान बाजार पूरी तरह बंद रहे। बंद और प्रदर्शन का सबसे ज्यादा असर असम राज्य में देखने को मिला लेकिन त्रिपुरा में भी जमकर हंगामा हुआ और लोगों ने बिल की सांकेतिक प्रतियां भी जलाईं। विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर, त्रिपुरा प्रशासन ने राज्य में इंटरनेट सेवाओं को 48 घंटे के लिए रोक दिया। बिल के विरोध में लगभग 16 संगठनों ने 12 घंटे का असम बंद का आह्वान किया था। हालांकि नगालैंड में जारी होर्नबिल फेस्टिवल की वजह से उसे बंद के दायरे से छूट दी गई।

हुई पत्थरबाजी और आगजनी

असम- राज्य में 16 संगठनों के बंद के आह्वान के चलते राज्य के प्रमुख इलाकों में पत्थरबाजी और आगजनी की घटनाएं देखी गई। गुवाहाटी में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पे भी हुईं। वहीं असम की सभी प्रमुख रेल सेवाओं पर भी हिंसा का असर पड़ा। भारी प्रदर्शन को देखते हुए गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी में परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया।

पूर्वोत्तर छात्र संगठन (एनईएसओ) भी इसी मुद्दे को लेकर मंगलवार को सुबह पांच बजे से 11 घंटे के पूर्वोत्तर बंद का पहले ही आह्वान किया था। एनईएसओ को कई संगठनों और राजनीतिक पार्टियों का समर्थन मिला। इन संगठनों का कहना है कि बाहर से आकर नागरिकता लेने वाले लोगों से उनकी पहचान और आजीविका को खतरा है। 

नगालैंड को बंद से दी गई थी छूट

असम में इस विधेयक (सीएबी) के खिलाफ कई तरह से विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें नग्न होकर प्रदर्शन करना और तलवार लेकर प्रदर्शन करना भी शामिल रहा। एसएफआई, डीवाईएफआई, एआईडीडब्ल्यूए, एसआईएसएफ, आइसा, इप्टा जैसे 16 संगठनों ने संयुक्त बयान में विधेयक को रद्द करने की मांग की। हालांकि नगालैंड में जारी होर्नबिल फेस्टिवल की वजह से उसे बंद के दायरे से छूट दी गई। 

इस बंद के आह्वान के मद्देनजर असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में सुरक्षा बढ़ा दी गई। गृह मंत्री अमित शाह के मणिपुर को इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के दायरे में लाने की बात कहने के बाद राज्य में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे द मणिपुर पीपल अगेंस्ट कैब (मैनपैक) ने सोमवार के अपने बंद को स्थगित करने की घोषणा की।

कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) के सलाहकार अखिल गोगोई ने पत्रकारों से कहा कि केएमएसएस और उसके सहयोगी संगठनों ने इन संगठनों और छात्र संगठन द्वारा बुलाए गए बंद को अपना समर्थन जताया है। उन्होंने बताया कि केएमएसएस ने सूटिया, मोरान और कोच-राजबोंग्शी जैसे विभिन्न आदिवासी छात्र निकायों द्वारा सोमवार को आहूत 12 घंटे के असम बंद को भी समर्थन दिया।

राज्य सरकार का भी विरोध

मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के चबुआ स्थित निवास और गुवाहाटी में वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा के घर के बाहर सीएबी विरोधी पोस्टर चिपकाए गए। वहीं नलबारी नगर में असम गण परिषद के तीन मंत्रियों के खिलाफ विभिन्न स्थानों पर पोस्टर चिपकाए गए। ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) ने अपने मुख्यालय से मशाल जलाकर जुलुस निकाला और गुवाहाटी की सड़कों पर प्रदर्शन किया। आसू के मुख्य सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने जुलूस का नेतृत्व करते हुए कहा कि राज्य विधेयक को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेगा।

पहचान और आजीविका को खतरा

उत्तर पूर्व के मूल निवासियों का कहना है कि बाहर से आकर नागरिकता लेने वाले लोगों से उनकी पहचान और आजीविका को खतरा है। आसू और अन्य संगठन विधेयक के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। आल असम मटक स्टूडेंट यूनियन के कार्यकर्ताओं ने रविवार शाम को शिवसागर की सड़कों पर नग्न होकर प्रदर्शन किया. हालांकि पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे मटक समुदाय के लोगों को हिरासत में ले लिया।

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