रेलवे भले ही रोजाना सैकड़ों श्रमिक स्पेशल और अन्य ट्रेनें चला रहा हो, 1 जून से 100 जोड़ी और ट्रेनें चलाने की योजना हो, लेकिन रेलवे स्टेशन पर खानपान की सुविधा उपलब्ध कराने वाले वेंडर अभी अपनी दुकानें खोलने को तैयार नहीं हैं। रेलवे फूड वेंडिंग एसोसिएशन ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के चलते अभी वे प्लेटफॉर्म पर सर्विसेज देने के लिए तैयार नहीं हैं। इसने रेल अधिकारियों से दुकानें खोलने के लिए दबाव नहीं डालने का आग्रह किया है। 25 मार्च से पूरे देश में लॉक डाउन के चलते रेलवे प्लेटफॉर्म की सभी दुकाने बंद हैं। गौरतलब है कि श्रमिक स्पेशल से जाने वाले यात्री लगातार खाना और पानी नहीं मिलने की शिकायतें कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्लेटफॉर्म पर दुकानें बंद होने के चलते वे खाने का सामान या पानी की बोतल नहीं खरीद पा रहे हैं। गौरतलब है कि देश के 9000 रेलवे स्टेशनों पर करीब एक लाख स्टॉल हैं और इनमें 6 लाख लोग काम करते हैं।
रेलवे बोर्ड ने सभी दुकानें तत्काल खोलने का दिया था निर्देश
रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे को 21 मई को एक पत्र भेजा था जिसमें स्टेशनों पर सभी दुकानों को तत्काल खोलने का निर्देश दिया गया था। इसके जवाब में अखिल भारतीय रेलवे खानपान लाइसेंसी वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रविंद्र गुप्ता ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव को गुरुवार को एक पत्र लिखा। इसमें कहा गया है कि कोई भी अपना बिजनेस बंद नहीं रखना या लंबे समय तक बिना काम के नहीं रहना चाहता है, लेकिन सभी वेंडर बेहतर परिस्थितियों में ही अपनी दुकानें खोलना चाहते हैं। पत्र में कहा गया है कि देश के ज्यादातर राज्यों में अब भी कंटेनमेंट जोन और रेड जोन हैं, इसके अलावा लॉकडाउन के चलते होने वाली परेशानियों के कारण दुकानें खोलना मुश्किल है।
ट्रेनें सामान्य होने तक दुकानें खुलने की संभावना नहीं
संगठन का कहना है कि ज्यादातर वेंडर लॉकडाउन के कारण आपने गृह प्रदेश चले गए हैं। पत्र में वेंडर्स की सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया गया है। गुप्ता ने लिखा है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में प्रवासी मजदूर जा रहे हैं, जो दुकानों में तोड़फोड़ और लूटपाट कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि क्या स्थानीय अधिकारी नुकसान की जिम्मेदारी लेंगे। इसलिए रेलवे को प्लेटफॉर्म पर मौजूद दुकानों को दोबारा खोलने के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए। इसके अलावा जब बहुत थोड़ी गाड़ियां चल रही है तो ऐसे में फूड स्टॉल खोलने का भी कोई मतलब नहीं है। 1 जून से सिर्फ 100 जोड़ी गाड़ियां चलेंगी, गाड़ियों का आवागमन सामान्य होने तक दुकानें खोलने की कोई संभावना नजर नहीं आती है।