सरकार के 500 और 21,000 रुपये के नोट चलन से वापस ले लिये जाने के बाद किसानों के पास नकदी की भारी तंगी पैदा हो गई। इससे रबी मौसम की बुवाई से ठीक पहले किसान बीज और खाद जैसी जरूरी चीजें नहीं खरीद पा रहे हैं। दास ने कहा कि नाबार्ड इस धन को किसानों तक पहुंचाने के लिये कृषि सहकारी बैंकों को उपलब्ध करायेगा। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, चालू रबी मौसम में कृषि कार्यों और विशेषतौर से किसानों के फायदे के लिये नाबार्ड ने जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों को 21,000 करोड़ रुपये वितरित किये जाने की सीमा तय की है।
उन्होंने कहा कि 40 प्रतिशत से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को सहकारी संस्थानों से ही फसल रिण मिलता है। नोटबंदी के सरकार के फैसले के बाद किसानों के पास नकदी की तंगी पैदा हो गई और उन्हें रबी मौसम की बुवाई में परेशानी आ रही थी।
पिछले दो साल के सूखे के बाद इस बार मानसून सामान्य रहने से बेहतर कृषि उत्पादन की उम्मीद बंधी है, लेकिन नोटबंदी के बाद उपजे माहौल में रबी मौसम की बुवाई को लेकर चिंता बढ़ने लगी थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को ही नाबार्ड को जिला सहकारी बैंकों को फसल रिण के लिये 23,000 करोड़ रुपये जारी करने की अनुमति दे दी थी। यह निर्णय किसानों को रिण उपलब्ध कराने में मदद करेगा।
दास ने कहा कि कल कृषि रिण में से संस्थागत रिण के जरिये छोटे और सीमांत किसानों की 40 प्रतिशत से ज्यादा जरूरतों को पूरा किया जाता है। उन्होंने कहा, इस प्रकार जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों को 21,000 करोड़ रुपये के रिण वितरण की मंजूरी दिये जाने से वह प्राथमिक सहकारी बैंकों तक धन पहुंचा सकेंगे। इससे किसानों को रबी मौसम के दौरान उनकी रिण जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
दास ने कहा, किसानों को नकद में रिण प्राप्त हो इसके लिये सरकार ने नाबार्ड, रिजर्व बैंक और बैंकों को नकद में धन उपलब्ध कराने की सलाह दी है। बैंकों से कहा गया है कि वह जिला सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को काफी मात्रा में नकद उपलब्ध करायें। इन्हीं बैंकों से कई किसानों को फसली रिण उपलब्ध कराया जाता है। भाषा एजेंसी