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आकाओं ने हेडली से कहा था, लखवी-हाफिज को कुछ नहीं होगा

पाकिस्तानी अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली ने आज बताया कि उसके आकाओं ने उससे कहा था कि 26/11 के मुंबई हमले के मामले में जकी उर रहमान लखवी और हाफिज सईद के खिलाफ कुछ नहीं होगा। हेडली ने यह भी दावा किया कि उसे बताया गया था कि उनके और लश्कर के अन्य सदस्यों के खिलाफ पाकिस्तानी संघीय जांच एजेंसी की कार्रवाई दिखावटी है।
आकाओं ने हेडली से कहा था, लखवी-हाफिज को कुछ नहीं होगा

अमेरिका से वीडियो लिंक के जरिये पिछले सोमवार से गवाही दे रहे 55 वर्षीय आतंकवादी ने 26/11 हमलों के बाद की आतंकवादी गतिविधियों पर और प्रकाश डालते हुए कहा कि जब पाकिस्तानी सरकार ने 26/11 हमलों की जांच शुरू की थी, तब उसके आका लश्कर के साजिद मीर ने उसे बताया था कि जकी उर रहमान लखवी और हाफिज सईद दोनों सुरक्षित हैं और उनके खिलाफ कुछ भी नहीं होगा। हेडली ने अदालत को बताया कि पहले लश्कर और बाद में अल-कायदा में शामिल होने वाले पाकिस्तानी सेना के पूर्व मेजर अब्दुल रहमान पाशा ने उसे बताया था कि जकी उर रहमान लखवी, हाफिज सईद और लश्कर के अन्य सदस्यों के खिलाफ पाकिस्तानी संघीय जांच एजेंसी की कार्रवाई दिखावटी है।

 

साथ ही हेडली ने बताया कि वह आईएसआई के मेजर इकबाल के निर्देशों पर वर्ष 2009 में पुणे में भारतीय सेना की दक्षिणी कमान के मुख्यालय में गया था। इकबाल चाहता था कि वह कुछ सैन्यकर्मियों को भर्ती करे ताकि उनसे गोपनीय सूचना प्राप्त की जा सके। मामले में सरकारी गवाह बन चुके हेडली ने अदालत को बताया कि वह मार्च 2009 में पुष्कर, गोवा और पुणे गया था तथा अलकायदा के इलियास कश्मीरी के कहने पर उसने इन शहरों की रेकी की थी। हेडली ने कहा,  इससे पहले भी, मेजर इकबाल ने मुझसे इस स्थान की यात्रा करने को कहा था। उस समय, मैंने सैन्य स्टेशन का बाहर से एक आम वीडियो बनाया था। हेडली ने कहा, मैंने सभी तीनों शहरों में वहां कई स्थलों का आम वीडियो बनाया था। लश्कर के सदस्य ने उसके और उसके आका साजिद मीर के बीच ई-मेलों के आदान-प्रदान की जानकारी का भी खुलासा किया।

 

हेडली ने अदालत से कहा,  मेरे और लश्कर के साजिद मीर के बीच तीन जुलाई, 2009 से 11 सितंबर, 2009 तक ईमेल का आदान-प्रदान हुआ। मैंने लश्कर के नेतृत्व की सुरक्षा के बारे में बार-बार चिंताएं व्यक्त की थीं। उसने कहा, पाकिस्तान सरकार मुंबई में 26/11 हमलों के बाद दिसंबर 2008 से लश्कर के लोगों के पीछे पड़ी थी, जांच और लोगों से पूछताछ कर रही थी। मैं इसलिए जानना चाहता था कि क्या हाफिज साहिब और जकी साहिब सुरक्षित हैं या नहीं। हेडली ने बताया कि मीर ने उसके ई-मेलों का उत्तर दिया था और कहा था कि जकी साहिब सकुशल हैं जेल में होने के बावजूद उनका मनोबल ऊंचा है और वह अवसादग्रस्त नहीं हैं। हेडली और मीर ने ईमेलों में कूट भाषा का इस्तेमाल करते हुए हाफिज सईद को बूढ़े चाचा और जकी को जवान चाचा कहा था।

 

अदालत को बताया गया कि हेडली ने 20 अगस्त, 2009 को मीर को एक मेल भेजकर पूछा था कि क्या बूढ़े चाचा (हाफिज) भी जांच के दायरे में है और क्या उसे भी गिरफ्तार किया जाएगा। मीर ने तीन दिन बाद इसके जवाब में कहा था कि बूढ़े चाचा सकुशल और स्वस्थ हैं और अपने काम के लिए इधर-उधर आ जा रहे हैं। मीर ने हेडली से कहा था कि वह अफवाहों पर ध्यान नहीं दे। मीर ने हेडली को भरोसा भी दिलाया था कि जकी उर रहमान लखवी और हाफिज सईद दोनों सुरक्षित हैं और उनके खिलाफ कुछ नहीं होगा।

 

 

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