भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच रविवार को टेलीफोन पर बातचीत हुई। जिसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर से चीनी सैनिकों के पीछे हटने को लेकर सहमति बनी। एनएसए अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग दोनों देशों के बीच सीमा वार्ता के विशेष प्रतिनिधि हैं। सोमवार को जारी एक बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बातचीत में तनाव को लेकर गहन विचार हुए। दोनों देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि एलएसी पर जारी तनाव को जल्द से जल्द खत्म किया जाए। एमईए ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि शांति और शांतिपूर्ण बहाली के लिए भारत-चीन सीमा एलएसी पर डी-एस्केलेशन के साथ सैनिकों को जल्द से जल्द पीछे कर लिया जाएगा।
सोमवार को सरकारी सूत्रों ने कहा कि चीनी सेना पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 से टेंट को हटाती हुई दिखाई दे रही है। इसी तरह की गतिविधियां चीनी सैनिकों की गोगरा हॉट स्प्रिंग इलाके में भी देखी जा रही है। पिछले कई सप्ताह से भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव बना हुआ है। 15-16 जून को पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में हुए हिंसक झड़प में भारत के बीस सैनिक शहीद हो गए थे जिसके बाद ये तनाव और बढ़ गया। इस बीच कई स्तर पर दोनों देश के बीच बातचीत हुई है।
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इससे पहले चीन ने सोमवार को कहा कि वह वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ-साथ गलवान घाटी में तनाव को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठा रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने ये बातें कही। चीन की तरफ से ये बयान भारत के सरकारी सूत्रों द्वारा गलवान घाटी में चीन द्वारा टेंट हटाने, सेना को पीछे करने और उपकरणों को हटाने की जानकारी के बाद आया।
विस्तारवाद ने हमेशा विश्वशांति के लिए खतरा पैदा किया: पीएम
भारत चीन तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन जुलाई की सुबह अचनाक लद्दाख दौरे पर पहुंचे थे। वहां उन्होंने भारतीय सेनाओं को संबोधित किया और गलवान हिंसा के दौरान घायल हुए सैनिकों से लेह में मुलाकात की। पीएम मोदी के साथ इस दौरे में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और थल सेना प्रमुख एमएम नरवणे भी थे। पीएम ने सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा था कि विस्तारवाद के दिन खत्म हो गए हैं। चीन पर निशाना साधते हुए पीएम ने कहा था कि गलवान घाटी हमारी है। लद्दाख का पूरा हिस्सा भारत के मान-सम्मान का प्रतीक है। विस्तारवाद ने हमेशा विश्वशांति के लिए खतरा पैदा किया है।