बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि केंद्र सरकार मांग है कि वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ.स्वामीनाथन के नेतृत्व में किसान के लिए गठित आयोग की रिपोर्ट लागू की जाए। इस आयोग ने वर्ष 2006 में अपनी रिपोर्ट दी थी। जिसमें कहा था कि अगर किसानों को बचाना है तो उन्हें लागत के साथ 50 फीसदी और दिया जाए। इसके अलावा किसानों के कर्जे भी माफ किए जाएं।
बीकेयू के पंजाब के उपाध्यक्ष रामकरण सिंह रामा का कहना है कि फसलों का मूल्य डॉ. स्वामीनाथन द्वारा सुझाए गए फार्मूले अनुसार निर्धारित किया जाए। किसानों की न्यूनयम आय तय करने के लिए किसान आय आयोग का गठन किया जाए। रामा का यह भी कहना है कि कृषि का बजट भी रेलवे की तरह अलग से पेश किया जाए। जितनी आबादी कृषि पर निर्भर करती है उसी अनुपात में कृषि का बजट आरक्षित रखा जाए। किसानों के बच्चों को शिक्षण संस्थानों में और सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाए। क्योंकि कृषि फायदे का धंधा नहीं रहा। किसान आर्थिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़ गया है। इस बारे में किसान नेता युद्धवीर सिंह का कहना है कि कर्ज के बोझ तले दबे किसानों के बारे में सरकार को जल्द से जल्द सोचना चाहिए।