मोदी सरकार ने इस स्कीम को लागू करने से पहले पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एम नरसिम्हन रेड़डी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर इस स्कीम को लागू करने की प्रक्रिया पर सुझाव देने को कहा था। रेड़डी कमेटी ने अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं दी है। नतीजन सरकार वन रैंक-वन पेंशन लागू करने में देर कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मसले पर मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया है।
कमेटी को पहले पिछले साल 14 दिसंबर को रिपोर्ट देनी थी। इसके बाद उसको और समय देते हुए कहा गया कि वह 14 जून तक हर हाल में इस पर अपनी रिपोर्ट दे। रिटायर्ड सैन्य कर्मी इस पूरे मसले पर सुप्रीम कोर्ट गए तो कोर्ट ने सरकार से स्कीम को लागू करने में हो रही देरी की वजह 8 माह में स्पष्ट करने को कहा है।
सरकार के 7 नवंबर 2015 को इस स्कीम को लागू करने की घोषणा के बाद भी रिटायर्ड सैन्य कर्मियों का इसको लेकर विरोध जारी रहा। क्योंकि रिटायर्ड सैन्य कर्मियों का मानना था कि इसे तुरंत लागू किया जाना चाहिए। स्कीम को तुरंत लागू करने की बजाय सरकार ने इस पर कमेटी बना दी। सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार ने उस गजट में कुछ बदलाव किए हैं, जिसे स्कीम के संबंध में पिछले वर्ष जारी किया गया था। इस बदलाव पर अभी तक एक सहमति नहीं बन पाई है। स्कीम लागू करने में हो रही देरी के पीछे एक मुख्य वजह यह भी हो सकती है। एजेंसी