कांग्रेस के गुलाम नबीं आजाद का कहना है कि भाजपा ने नाम घोषित करने से पहले सहमति नहीं ली। इस मसले पर विपक्षी दल मिलकर फैसला करेंगे। टीएमसी ने कहा है कि इस पद के लिए कोई बड़ा नाम हो सकता था। समझा जाता है कि विपक्ष भी एनडीए के जबाव में दलित कार्ड खेल सकता हैैै।
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने सहमति से फैसला नहीं लिया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाब नबी आजाद ने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए का जो उम्मीदवार है, उस पर कांग्रेस कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती। हमारा शुरू से ये रुख रहा है कि विपक्षी दल मिलकर सहमति बनाएंगे। कुछ हफ्ते पहले सोनियाजी ने 18 दलों को लंच पर बुलाया था कि सभी मिलकर राष्ट्रपति पद के कैंडिडेट पर फैसला लेंगे। एक सबग्रुप बनाया गया। सब ग्रुप की मीटिंग भी हुई। इस बीच बीजेपी ने तय किया कि उनकी तरफ से तीन मंत्री विपक्ष से बात करेंगे। इन लोगों ने सोनिया गांंधी के साथ संपर्क किया। मैं और खड़गेजी भी उस वक्त थे। हमने सोचा कि उनके पास कोई नाम होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ये ठीक है कि सरकार ने हमारे नेताओं सोनियाजी, मनमोहनजी को फोन करके उम्मीदवार के बारे में बताया। लेकिन आपसी सहमति बनाने की कोशिश नहीं की। उन्होंने अपना फैसला सुना दिया। जब नाम ही नहीं बताया तो आम सहमति कैसे बन सकती है
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा है कि अगर कोई अन्य दलित उम्मीदवार मैदान में नहीं आता तो वह कोविंद को समर्थन दे सकती हैं। आज अमित शाह व वैंकेया नायडू ने इस फैसले की जानकारी दी और मैं उनकी पसंद से सहमत हूं लेकिन यह सब यूपीए की पसंद पर निर्भर करता है। अगर विपक्ष किसी अन्य दलित और लोकप्रिय चेहरे को सामने नहीं लाता है तो कोई विकल्प नहीं है। तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी ने कहा कि राष्ट्रपित जैसे पद पर कोई बड़ा नाम लाया जा सकता था। सीपीआई (एम) के महासचिव सीता राम येचुरी ने कहा कि वादे के मुताबिक वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने इस मामले में कोई सहमति नहीं ली।
एनडीए ने दलित कार्ड खेलकर विपक्षी दलों को चित करने और शांत करने की कोशिश की है लेकिन यूपीए खेमा भी इससे निपटने के लिए बडा दलित महिला कार्ड खेलने की कोशिश कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि यूपीए मीरा कुमार को उम्मीदवार बना सकता है और अगर वह मैदान में आती है तो मुकाबला दिलचस्प होगा लेकिन नंबर के खेल में अभी एनडीए आगे है।