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पचौरी को टेरी कार्यालय में प्रवेश की अनुमति

दिल्ली की एक अदालत ने द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के महानिदेशक आर.के. पचौरी को शुक्रवार को दिल्ली स्थित टेरी मुख्यालय और गुड़गांव स्थित एक शाखा को छोड़कर उसके परिसर में प्रवेश करने की इजाजत दे दी। पचौरी पर एक महिला कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
पचौरी को टेरी कार्यालय में प्रवेश की अनुमति

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राज कुमार त्रिपाठी ने उस अर्जी को स्वीकार कर लिया जिसमें टेरी के कार्यालय में उनके प्रवेश को प्रतिबंधित करने के पूर्व के आदेश में बदलाव करने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने गत 21 मार्च को पचौरी की अग्रिम जमानत प्रदान कर दी थी लेकिन यह शर्त लगाई थी कि जब भी बुलाया जाएगा वह जांच में सहयोग करेंगे और टेरी के कार्यालय परिसर में प्रवेश नहीं करेंगे। पुलिस ने पचौरी को दी गई अग्रिम जमानत को गुरुवार को यह कहते हुए रद्द करने की मांग की थी कि वह गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं और अपनी आजादी का दुरुपयोग कर रहे हैं। पचौरी ने इस आरोप से इनकार किया था।

सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी ने पचौरी की अर्जी का यह कहते हुए विरोध किया कि उसने चार बार पूछताछ की लेकिन उनकी ओर से जांच में कोई सहयोग नहीं किया गया। अधिकारी ने कहा कि यदि पचौरी को कार्यालय में प्रवेश की इजाजत दी गई तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। जांच अधिकारी ने कहा, कई गवाहों से पूछताछ की जानी है जिसमें अधिकतर टेरी के लोधी रोड स्थित कार्यालय के कर्मचारी हैं। इसके साथ ही डिफेंस कालोनी स्थित टेरी के कार्यालय के गवाहों से भी पूछताछ की जानी है। इसलिए यदि आरोपी को कार्यालय में प्रवेश की इजाजत दी गई तो ऐसी संभावना है कि वह उन्हें प्रभावित करने का प्रयास कर सकते हैं।

पचौरी की ओर से पेश होने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने अदालत को सूचित किया कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को शिकायतकर्ता की उस अर्जी पर सुनवायी स्थगित कर दी थी जिसमें उसने उन्हें 30 सितंबर तक मिली अग्रिम जमानत को चुनौती दी थी। उन्होंने कहा कि मामले को स्थगित करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि उसे इससे मतलब नहीं कि निचली अदालत में चल रही सुनवाई में क्या हो रहा है।

वकील ने कहा कि पचौरी जांच में चार बार शामिल हुए हैं इसके बावजूद जांच अधिकारी का कहना है कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने पचौरी की ओर से कहा, मुझे चुप रहने का पूरा अधिकार है। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई है और कोई भी यह देख सकता है कि मैंने कैसे जांच में सहयोग किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि जांच अधिकारी का यह बयान कि पचौरी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं, शिकायतकर्ता के दबाव में दिया गया है।

अदालत ने जांच अधिकारी से कथित पीड़िता की स्थिति पूछी और पूछा कि वह वर्तमान में कहां पदस्थापित हैं और क्या उन्होंने कार्यालय जाना शुरू किया है या नहीं। इस पर जांच अधिकारी ने कहा कि उसका स्थानांतरण गुड़गांव कार्यालय में कर दिया गया है। पचौरी के वकील ने कहा कि वह वसंतकुंज स्थित टेरी विश्वविद्यालय से काम कर सकते हैं और वह अदालत द्वारा लगाई गई सभी शर्तों का पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि सभी दस्तावेज और तकनीकी सबूत पुलिस के पास हैं और केवल एफएसएल रिपोर्ट का इंतजार है और चार महीने बीत गए जबसे पचौरी को उनके कार्यालय में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। वकील ने कहा, वह घर पर नहीं बैठ सकते, उन्हें टेरी के कम से कम किसी एक कार्यालय में काम करना होगा।

अदालत ने जांच अधिकारी से कहा कि आरोपी को आजीविका का अधिकार है जिसे अनिश्चित काल तक निलंबित नहीं रखा जा सकता। शिकायतकर्ता के लिए पेश होने वाले प्रशांत मेंदीरत्ता ने दलील दी कि अदालत ने पचौरी के टेरी कार्यालय में प्रवेश पर रोक लगाई है जहां कथित घटना घटी थी ताकि पुलिस मुक्त रूप से जांच कर सके। उन्होंने कहा कि टेरी के सभी कार्यालय एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और यदि पचौरी के कद का कोई व्यक्ति जो कि टेरी के प्रमुख हैं, को परिसर में प्रवेश की इजाजत दी जाती है तो गवाहों को प्रभावित किए जाने की संभावना है। उन्होंने कहा, काम करने का अधिकार एक मूलभूत अधिकार है लेकिन टेरी से छुट्टी पर चल रहे पचौरी को क्या कोई वेतन नहीं मिल रहा? क्या उन्होंने महानिदेशक का पद छोड़ दिया है? वह घर से क्यों काम नहीं कर सकते? उन्होंने अदालत से मामले की सुनवाई अक्तूबर तक स्थगित करने का अनुरोध किया और कहा कि आरोपी को अग्रिम जमानत प्रदान करने का एक बड़ा मुद्दा उच्च न्यायालय के विचाराधीन है।

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