पुलिस और अदालती कार्रवाई में फंसे पचौरी के लिए यह सबसे बड़ा झटका है। अभी पिछले सप्ताह ही दिल्ली की एक अदालत ने पचौरी को काम पर लौटने की इजाजत दी थी, हालांकि उन्हें टेरी के मुख्यालय और गुड़गांव ऑफिस में प्रवेश से प्रतिबंधित कर दिया गया था जहां उनके खिलाफ आरोप लगाने वाली महिला कर्मी इस वक्त पदस्थापित है। पचौरी के फिर से काम संभालने के बाद से ही टेरी के कर्मियों में रोष था और बताया जाता है कि इनमें से करीब 50 कर्मचारियों ने इसके खिलाफ हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी। हालांकि यह स्थिति आने से पहले ही गवर्निंग काउंसिल ने पचौरी को हटाने का फैसला ले लिया।
इस साल फरवरी में पचौरी पर उनकी महिला सहकर्मी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था और लोधी कॉलोनी थाने में यौन उत्पीड़न का केस दर्ज करवाया था। पुलिस जांच के दौरान इस महिला कर्मी को किसी भी प्रकार के दबाव से बचाने के लिए अदालत ने पचौरी के टेरी कार्यालय में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। पिछले हफ्ते इस रोक में ढील देते हुए उन्हें काम पर लौटने की इजाजत दी गई थी। अदालत ने 21 मार्च को पचौरी को अग्रिम जमानत देते हुए शर्त लगाई थी कि पूछताछ के लिए उन्हें जब भी बुलाया जाएगा वह जांच में सहयोग करेंगे और टेरी के ऑफिस परिसर में प्रवेश नहीं करेंगे।