सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि संसदीय समितियों की रिपोर्ट को चुनौती नहीं दी जा सकती और न ही उनकी वैधता पर अदालतों में सवाल उठाया जा सकता है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अदालतें कानून के अनुरूप विधिक व्याख्या के लिए संसदीय समिति की रिपोर्ट का संदर्भ दे सकती हैं। अदालतें संसदीय समिति की रिपोर्ट पर न्यायिक संज्ञान ले सकती हैं लेकिन उनकी वैधता को चुनौती नहीं दी जा सकती। लोकतंत्र के तीनों स्तंभों के अधिकार अलग अलग हैं और अदालत को विधायिका तथा न्यायपालिका के बीच संतुलन बनाए रखना है।
संसदीय रिपोर्ट के मामले में संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से निर्णय सुनाया, हालांकि तीन न्यायाधीशों ने अपने अलग - अलग फैसले लिखे।
न्यायालय ने कहा, ‘न्यायिक प्रक्रिया में संसदीय समिति की रिपोर्ट पर भरोसा दिखाना संसदीय विशेषाधिकार के साथ टकराव नहीं है। न्यायालय के पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने फैसला दिया कि संसदीय समिति में सांसदों के विचारों, सच्चाई और निष्कर्ष पर अदालतों में सवाल नहीं उठाया जा सकता।