भारतीय विज्ञापन मानक परिषद ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद अपने विज्ञापनों में अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों के उत्पादों का अनुचित तरीके से अपमान करती है। उपभोक्ता शिकायत परिषद (सीसीसी) ने पाया कि पतंजलि ने अपने कच्ची घानी सरसों तेल के विज्ञापन में दावा किया है कि उसकी प्रतिस्पर्धी कंपनियों द्वारा बेचा जा रहा सरसों का तेल सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन प्रक्रिया से निकाला गया तेल मिलावटी है और इसमें न्यूरोटॉक्सिन हैक्जेन है। विज्ञापन में इसकी पुष्टि नहीं की गई है। विज्ञापन विनियामक ने पतंजलि के विज्ञापन में उत्पाद के बारे में दावों को बहुत बढ़-चढ़ कर किया गया भ्रामक दावा करार दिया है। विनियामक ने कहा है कि पतंजलि ने यह भी साबित नहीं किया कि उसके प्रतिस्पर्धियों के महंगे रसों में फलों का गूदा कम है।
नियामक परिषद ने विज्ञापनों के बारे में ये टिप्पणियां अप्रैल 2016 की अपनी सूची में कही हैं। इस सूची में विभिन्न कंपनियों के खिलाफ 67 शिकायतों को सही करार दिया गया है। विज्ञापन परिषद ने कहा है कि पतंजलि के दुग्धामृत, दंत कांति अन्य उत्पादों के दावे को भी पुष्ट नहीं किया गया है। इस बारे में पतंजलि के एक प्रवक्ता ने कहा कि इकाई इसके ब्यौरों का अध्ययन कर रही है और इसपर अपने कानूनी विभाग से बात कर रही है। परिषद ने इसके अलावा निसान मोटर्स के सनी कार के विज्ञापन के खिलाफ भी टिप्पणियां की हैं जिसमें यातायात के कई नियमों का उल्लंघन किया गया है। इसी तरह अपोलो टायर के विज्ञापन में स्कूटर को फुटपाथ पर चलाते दिखाया गया है। एएससीआई से टाटा मोटर्स के सिग्ना वाणिज्यिक वाहन, रिलायंस इंडस्ट्रीज के रिलायंस जियो इंफोकॉम, सुजुकी मोटरसाइकिल की सुजुकी जिक्सर इत्यादि के विज्ञापनों की भी खिंचाई की है।