इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि की दवा कोरोनिल को प्रमोट करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की आलोचना की है। पतंजलि ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की मंजूरी का दावा करते हुए कोरोनिल को 19 फरवरी को रीलॉन्च किया था। लेकिन डब्लूएचओ ने इस दावे को गलत बताया है। पतंजलि ने पिछले साल 23 जून को पहली बार कोरोनिल को लांच किया था। तब भी कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं देने के कारण इसकी काफी आलोचना हुई थी।
स्वास्थ्य मंत्री पर कोड के उल्लंघन का आरोप
आईएमए ने एक बयान में कहा है कि नेशनल मेडिकल कमीशन (पुराना नाम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) के कोड के अनुसार कोई भी डॉक्टर किसी दवा को प्रमोट नहीं कर सकता है। यह कोड सभी डॉक्टरों पर लागू होता है। फिर भी आश्चर्यजनक है कि एक डॉक्टर होते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने इस दवा को प्रमोट किया। एसोसिएशन का कहना है कि अवैज्ञानिक तरीके से तैयार की गई दवा को देश के स्वास्थ्य मंत्री के सामने प्रमोट किया गया। डब्लूएचओ ने इस दवा को खारिज कर दिया है। यह पूरे देश के लिए एक तमाचे जैसा है।
एसोसिएशन इस सिलसिले में नेशनल मेडिकल कमीशन को चिट्ठी लिखेगी और कोड का उल्लंघन करने पर डॉ. हर्षवर्धन से जवाब मांगने के लिए कहेगी। गौरतलब है कि 19 फरवरी को पतंजलि के एक कार्यक्रम में कोरोनिल लांच की गई थी। इस मौके पर हर्षवर्धन के अलावा केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे। पतंजलि का दावा है कि कोरोनिल कोविड-19 महामारी की पहली साक्ष्य आधारित दवा है।
स्वास्थ्य मंत्री क्लिनिकल ट्रायल की टाइमलाइन बताएं
आईएमए ने हर्षवर्धन से कहा है, “देश का स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते ऐसे फर्जी और अवैज्ञानिक प्रोडक्ट को देशवासियों के सामने प्रस्तुत करना कितना उचित है? क्या आप कोरोना की इस तथाकथित दवा के क्लिनिकल ट्रायल के टाइमलाइन के बारे में बता सकते हैं? देश स्वास्थ्य मंत्री से जानना चाहता है। एसोसिएशन डब्लूएचओ के सर्टिफिकेशन के लेकर इस सफेद झूठ से आश्चर्यचकित है।”
रामदेव के दावे पर बालकृष्ण की सफाई
उसी कार्यक्रम में पतंजलि के संस्थापक रामदेव ने कहा कि इस दवा को डब्लूएचओ की सर्टिफिकेशन स्कीम के तहत आयुष मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है। बाद में डब्लूएचओ ने इस दावे को गलत बताया। डब्लूएचओ के इनकार करने के बाद पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने ट्विटर पर सफाई दी कि कोरोनिल को भारत के ड्रग कंट्रोलर डीसीजीआई की तरफ से सर्टिफिकेट मिला है। उन्होंने यह भी कहा कि डब्लूएचओ किसी भी दवा की मंजूरी नहीं देता है।