हमले के लगभग एक साल बाद पंचकूला विशेष अदालत में दाखिल किए गए विस्तृत आरोप पत्र में सूत्रों के मुताबिक एनआईए ने भारत में अशांति फैलाने में आतंकी समूह जैश की भूमिका को उजागर किया और संगठन की घृणित साजिशों का खुलासा भी किया। आरोप पत्र में अजहर के भाई रउफ असगर का भी आरोपी के तौर पर नाम है। इसमें कहा गया है कि पठानकोट हमले के तुरंत बाद उसने एक वीडियो संदेश जारी किया जिसमें आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली गई थी और हमले में अजहर की भूमिका का महिमामंडन भी किया गया था।
अजहर वही आतंकी है जिसे वर्ष 1999 में इंडियन एयरलाइन्स के अपत विमान आईसी-814 के यात्रियों की सुरक्षित रिहाई के बदले में छोड़ दिया गया था। भारत संभवत: इस आरोप पत्र का इस्तेमाल विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस साल दो जनवरी को पठानकोट में हुए आतंकी हमले में मसूद अजहर की भूमिका का पर्दाफाश करने के लिए करेगा।
जैश-ए-मोहम्मद और उसके प्रमुख मसूद अजहर के खिलाफ राजनयिक स्तर पर हमलावर होना अपरिहार्य हो चुका है, खासतौर पर इसलिए क्योंकि भारत लगातार प्रयास कर रहा है कि संयुक्त राष्ट इस आतंकी समूह और आतंकी को प्रतिबंधित घोषित कर दे लेकिन चीन उसके प्रयासों पर बार-बार पानी फेर देता है। गृह मंत्रालय ने अजहर, उसके भाई और चार आतंकियों के दो हैंडलरों काशिफ जान और शाहिद लतीफ के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप पत्र दाखिल करने को मंजूरी दे दी थी। चार आतंकी गुरदासपुर के बामियाल क्षेत्रा से भारत में घुसे थे और उन्होंने पठानकोट वायु स्टेशन पर हमला किया था। इस हमले में वायुसेना और एनएसजी के सात कर्मियों समेत कुल आठ लोगों की मौत हो गई थी।
आरोप पत्र में हमले में शामिल चार आतंकियों का नाम है। एनआईए के मुताबिक दो दिन चली गोलीबारी में मारे गए आतंकियों की पहचान नासिर हुसैन, हाफिज अबु बकर, उमर फारूक और अब्दुल कयाम के रूप में की गई जो क्रमश: पाकिस्तान के वेहारी (पंजाब), गुजरांवाला (पंजाब), सनघर (सिंध) और सुकुर (सिंध) के रहने वाले थे।
सूत्रों के मुताबिक आरोप पत्र में सबूतों का भी जिक्र है। इसमें से एक सबूत बेमियाल से प्राप्त एक आतंकी के पैर के निशान से जुड़ा है और दूसरा डीएनए का एक नमूना है जो पंजाब के पुलिस अधीक्षक सलविंदर सिंह की अपहृत कार में मिली सॉफ्ट ड्रिंक की कैन से प्राप्त हुआ। पठानकोट आतंकी हमले की जांच के लिए पाकिस्तान का एक दल भारत भी आया था। हालांकि वापस लौटने के बाद उस पाकिस्तानी दल ने दावा किया था कि भारत ने उसके साथ ज्यादा सबूत साझा नहीं किए और ना ही हमले से निबटने वाले सुरक्षाकर्मियों से उन्हें पूछताछ करने दी गई। (एजेंसी)