यह याचिका अभिनव भारत मुंबई के शोधार्थी और डाक्टर पंकज फडनिस ने दाखिल की है। इसमें दावा किया गया कि वर्ष 1966 में गठित न्यायमूर्ति जे एल कपूर जांच आयोग साजिश का पता लगाने में पूरी तरह नाकाम रहा। यह साजिश राष्ट्रपिता की हत्या के साथ पूरी हुई। फडनिस ने गोडसे और नारायण आप्टे सहित अन्य आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए विभिन्न अदालतों की ओर से सही मानी गई तीन गोलियों की कहानी पर भी सवाल उठाए हैं।
फडनिस ने यह भी दावा किया कि उनका शोध और उन दिनों की खबरें बताती हैं कि गांधी को चार गोलियां मारी गई थीं। और तीन और चार गोलियों के बीच अंतर अहम है क्योंकि गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को जिस पिस्तौल से महात्मा गांधी को गोली मारी थी उसमें सात गोलियों की जगह थी और बाकी की चार बिना चली गोलियां पुलिस ने बरामद की थीं।
दावे में कहा गया है कि इस हालात में यह तय है कि उस पिस्तौल से सिर्फ तीन गोलियां चलीं। उन्होंने याचिका में कहा कि गोडसे की पिस्तौल से चौथी गोली चलने की कोई संभावना नहीं है। यह दूसरे हत्यारे की बंदूक से आई।
बता दें कि शीर्ष अदालत से गुहार लगाने के अलावा फडनिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर सावरकर के खिलाफ कपूर आयोग की ओर से की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाने का अनुरोध किया है।