सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली 'आजाद हिंद सरकार' की 75वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले में तिंरगा फहराया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने आजाद हिंद फौज सरकार गठित करने वाले नेता जी सुभाष चंद्र बोस के स्वतंत्रता संघर्ष में योगदान को याद किया और कहा कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए नेता जी, सरदार पटेल और डॉ.अंबेडकर जैसे महान नेताओं को भुला दिया गया।
इस मौके पर पीएम मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को याद करते हुए कहा “कैम्ब्रिज के दिनों को याद करते हुए सुभाष बाबू ने लिखा था कि हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है। इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है।“ मोदी ने कहा “आज मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि स्वतंत्र भारत के बाद के दशकों में अगर देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्वों का मार्गदर्शन मिला होता, भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होती। ये भी दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों, वो चाहें सरदार पटेल हों, बाबा साहेब आंबेडकर हों, उन्हीं की तरह ही, नेताजी के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया।“
“नेताजी के सपनों की सेना की ओर बढ़ रहा है भारत”
उन्होंने कहा कि देश का संतुलित विकास, समाज के प्रत्येक स्तर पर, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण का अवसर, राष्ट्र की प्रगति में उसकी भूमिका, नेताजी के वृहद विजन का हिस्सा थी। पीएम के अनुसार भारत अब एक ऐसी सेना के निर्माण की तरफ बढ़ रहा है, जिसका सपना नेताजी ने देखा था।
क्या थी आजाद हिंद सरकार, कब हुआ था गठन?
साल 1943 में 21 अक्टूबर को आजाद हिंद सरकार का गठन सिंगापुर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने किया था। यह एक अस्थाई सरकार थी जिसे मित्र देशों के खिलाफ लड़ रहे जापान की मदद से गठित किया गया था। भारत में जाने के बाद नेताजी जर्मनी से गए फिर जापान होते हुए सिंगापुर पुहंचे जहां उन्होंने इस आस्थाई सरकार की नीव रखी थी।