पीएम मोदी ने मंगलवार को पहले राष्ट्रीय जनजातीय कार्निवल का उद्घाटन करते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधन अधिकतर वन क्षेत्रों में मिलते हैं जहां आदिवासी रहते हैं। उन्होंने कहा कि विकास लक्ष्यों को हासिल करने के दौरान खनिज संसाधनों का इस प्रकार दोहन नहीं किया जाना चाहिए कि उन लोगों के हित प्रभावित हों। उन्होंने कहा, लौह अयस्क, कोयला निकालने की जरूरत है लेकिन यह आदिवासी लोगों की कीमत पर नहीं होना चाहिए। पीएम ने कहा कि किसी को भी आदिवासियों के अधिकार छीनने का मौका नहीं मिलना चाहिए और जो ऐसा करेंगे, उन्हें सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि विगत में जब लौह अयस्क और कोयला निकाला जाता था तब खनिज संपदा वाले क्षेत्रों के आदिवासी लोगों को इससे कभी फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि उपकर लगाए जाने की योजना लागू किए जाने के बाद एकत्र राशि का उपयोग अब सुविधाओं के विस्तार में किया जा रहा है ताकि आदिवासियों को लाभ हो सके। इन सुविधाओं में बुनियादी ढांचा शामिल है।
कार्यक्रम को संबोदित करते हुए मोदी ने कहा कि सरकार अब उन्नत प्रौद्योगिकी पर जोर दे रही है जो यह सुनिश्चित करता है कि खनन के दौरान पर्यावरण पर गंभीर असर नहीं हो। उत्खनन स्थानों पर भूमिगत खदानों में कोयले के गैसीकरण से आसपास के क्षेत्रों में लोगों के स्वास्थ्य और प्रदूषण नियंत्रित करने में मदद मिल रही है। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्टार्ट अप और आदिवासी उत्पादों का निर्यात घरेलू और विदेशी बाजारों में किए जाने पर जोर दिया। मोदी ने कहा कि अगर लोग आदिवासियों द्वारा तैयार उत्पाद खरीदने लगेंगे तो उनकी आर्थिक अधिकार संपन्नता में मदद मिलेगी।