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सामाजिक सुधार का काम उतना ही मुश्किल है जितना स्वर्ग जाने का रास्ता-नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरर्राज्यीय परिषद की बैठक में बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर द्वारा लिखी बात का हवाला देते हुए कहा कि भारत जैसे देश में सामाजिक सुधार का काम उतना ही मुश्किल है जितना स्वर्ग जाने का रास्ता। मोदी ने कहा कि आज भी यह बात बिल्कुल प्रासंगिक है।
सामाजिक सुधार का काम उतना ही मुश्किल है जितना स्वर्ग जाने का रास्ता-नरेंद्र मोदी

दस साल के बाद हो रही इस बैठक में मोदी ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे कम ही मौके आते हैं जब केंद्र और राज्यों का नेतृत्व एक साथ एक जगह पर मौजूद हो। उन्होने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के वकत्‍व्य का जिक्र करते हुए कहा कि वाजपेयी जी ने कहा था कि भारत जैसे बड़े और विविधता से भरे हुए लोकतंत्र में वाद-विवाद, विवेचना और विचार-विमर्श से ही ऐसी नीतियां बन सकती हैं जो जमीनी सच्चाई का ध्यान रखती हों। मोदी ने कहा कि देश का विकास तभी संभव है जब केंद्र और राज्य सरकारें कंधे से कंधा मिलाकर चलें। किसी भी सरकार के लिए मुश्किल होगा कि वो सिर्फ अपने दम पर कोई योजना को कामयाब कर सके। इसलिए जिम्मेदारियों के साथ ही वित्तीय संसाधनों की भी अपनी अहमियत है। उन्होने कहा कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं की स्वीकृति के साथ केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दी गई है। यानि अब राज्यों के पास ज्यादा राशि आ रही है जिसका उपयोग वो अपनी जरूरत के हिसाब से कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष 2015-16 में राज्यों को केंद्र से जो रकम मिली है, वो वर्ष 2014-15 की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह पंचायतों और स्थानीय निकायों को 14वें वित्त आयोग की अवधि में 2 लाख 87 हजार करोड़ रुपए की रकम मिलेगी जो पिछली बार से काफी अधिक है। 

मोदी ने बाबा साहेब का जिक्र करते हुए कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर ने लिखा था कि- “भारत जैसे देश में सामाजिक सुधार का मार्ग उतना ही मुश्किल है, उतनी ही अड़चनों से भरा हुआ है जितना स्वर्ग जाने का मार्ग। जब आप सामाजिक सुधार की सोचते हैं तो आपको दोस्त कम, आलोचक ज्यादा मिलते हैं”। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भी उनकी लिखी बातें, उतनी ही प्रासंगिक है। इसलिए आलोचनाओं से बचते हुए, हमें एक दूसरे के साथ सहयोग करते हुए, सामाजिक सुधार की योजनाओं को आगे बढ़ाने पर जोर देना होगा। इनमें से बहुत सी योजनाओं की रूप-रेखा, नीति आयोग में मुख्यमंत्रियों के ही सब-ग्रुप ने तैयार की है। मोदी ने अपने भाषण में पंडित दीनदयाल और स्वामी विवेकानंद के विचारों को भी दोहराया। 

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