दिल्ली पुलिस ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अंकिता लाल के समक्ष पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारती के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए शीघ्र मंजूरी लेने के अदालती आदेश के अनुसार उसने सक्षम अधिकारी को लिखा है। विशेष सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने मामले की और जांच किये जाने के भारती के अनुरोध पर पुलिस उपायुक्त की रिपोर्ट और जांच अधिकारी का जवाब पेश किया। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 14 जुलाई तय की।
अदालत ने 16 जनवरी को पुलिस उपायुक्त को नोटिस जारी किया था और जांच अधिकारी विजय चंदेल को आम आदमी पार्टी (आप) के नेता भारती के खिलाफ मुकदमे के लिए अनुमति प्राप्त करने का अंतिम मौका दिया था। पिछले साल 27 सितंबर को दायर अपने आरोपपत्र में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि तत्कालीन कानून मंत्री सोमनाथ भारती की अगुवाई में एक भीड़ ने नौ अफ्रीकी महिलाओं के साथ कथित छेड़खानी एवं दुव्र्यवहार किया था।
आरोपपत्र में भारती और 17 अन्य के खिलाफ धारा 354 (महिला का शील भंग करना), धारा 323 (जानबूभुाकर चोट पहुंचाना), धारा 506 (आपराधिक धमकी) और धारा 147 (दंगा करना) समेत भादंस की विभिन्न धाराएं लगाई गई हैं। पुलिस ने इस मामले में 41 गवाह जुटाए हैं जिनमें नौ यूगांडाई महिलाएं हैं। वर्ष 2014 में 15-16 जनवरी की दरम्यानी रात को भारती की अगुवाई में भीड़ ने इन महिलाओं के साथ कथित मारपीट एवं छेडखानी की थी।
आरोपपत्र में पुलिस ने कहा था कि पीडि़त महिलाओं के मूत्र नमूने की फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है लेकिन एम्स, जहां इन महिलाओं को मेडिकल चेक-अप के लिए ले जाया गया था, वहां लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज की रिपोर्ट मिल गई है। अदालत के आदेश पर 19 जनवरी को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इससे पहले एक यूगांडाई महिला अग्यात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज करने का पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध करते हुए अदालत पहुंची थी।
बाद में एक और अफ्रीकी महिला अलग से एक प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करते हुए अदालत पहुंची थी। उसने भीड़ पर उसके साथ छेड़खानी करने का आरोप लगाया था। अदालत ने पिछले साल 29 जनवरी को पृथक प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देने से इनकार करते हुए पुलिस को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। अदालत ने पुलिस को दूसरी महिला को पहली प्राथमिकी में सह शिकायतकर्ता बनाने का निर्देश दिया था क्योंकि वह भी उसी घटना से पीडित थी।