देश की बढ़ती आबादी कई समस्याओं की जड़ है। अगर मौजूदा आंकड़ों को देखें तो हम कुछ वर्षों में ही चीन को पीछे छोड़कर इस मामले में नंबर वन पर काबिज हो जाएंगे, जो किसी लिहाज से सही नहीं है। इन्हीं समस्याओं का हल निकालने और इससे संबंधित कानून बनाने के लिए कई सांसद एक मंच पर इकट्ठा हुए। इस मौके पर जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने को लेकर संसद में प्राइवेट मेंबर बिल लाने वाले सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि इस देश में गरीबी बुद्धिजीवियों, अमीरों और राजनेताओं के दिए शब्द हैं। देश में गरीबी रेखा तो तय हो गई, लेकिन क्या कभी अमीरी रेखा पर बात हुई। उन्होंने कहा कि देश के तीन फीसदी अरबपति के पास अधिकांश संसाधन और संपत्ति है, लेकिन हर समस्या के लिए दोष गरीबों को ही दिए जाते हैं।
पप्पू यादव ने कहा कि जनसंख्या बढ़ोतरी को गरीबी के चश्मे से नहीं देखा जा सकता। यह एक वजहहो सकती है, लेकिन यही एकमात्र कारण नहीं है।
इस मुद्दे पर 2017 में प्राइवेट मेंबर रिजोल्यूशन लाने वाले सांसद राघव लखनपाल ने मौजूदा कानून राष्ट्रीय जनसंख्या नीति में संशोधन पर जोर दिया। उन्होंने सवाल उठाए कि दो बच्चों से अधिक वाले परिवार को सरकारी स्तर पर सुविधाएं क्यों मिलनी चाहिए। उन्हें चुनाव लड़ने की भी इजाजत नहीं मिलनी चाहिए।
वहीं, सासंद राजेश पांडेय ने इसे एक जटिल मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि जिस वर्ग की आबादी जितनी बढ़ रही है, उसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने कहा कि सरकार एक बार सुविधाएं मुहैया करा सकती है, लेकिन जिस रफ्तार से आबादी बढ़ रहीहै, उस हिसाब से सभी को सुविधाएं मुहैया कराना मुश्किल है। उन्होंने किसानों का उदाहरण देते हुए कहा कि कभी आपने सुना कि किसी बड़े किसान ने आत्महत्या कर ली। छोटे किसान ही आत्महत्या करते हैं। इस मूल समस्या की जड़ बढ़ती हुई आबादी है। बालियान ने कहा कि कानून बनाने से संमस्या का समाधान नहीं होगा, लेकिन कानून नहीं बनाने से समस्या और बढ़ेगी। इस लिहाज से प्राइवेट मेंबर बिल भी एक जनजागरण है। इससे हमारी-आपकी बात जनता तक पहुंचेगी और जनता की बात फिर सरकार तक पहुंचेगी।
इस मौके पर सांसद प्रह्लाद पटेल ने पप्पू यादव की बातों से असहमति जताई। उन्होंने कहा कि पप्पू यादव ने कहा कि इस मामले में धर्म को नहीं लाना चाहिए, लेकिन मैं कहता हूं कि धर्म की बात होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनसंख्या बढ़ने का संबंध धर्म से भी है।
“सांसदों की चिंता? बढ़ती जनसंख्या” विषय से आयोजित यह कार्यक्रम टैक्सपेयर्स असोसिएशन ऑफ भारत के बैनर तले दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में आयोजित किया गया था।