नायडू ने कहा कि इस सार्वजनिक प्रसारण संस्था में सुधार की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि जितनी तरह की समस्याओं का इसे सामना करना पड़ रहा है, उससे मुझे हैरानी हो रही है। इन समस्याओं के लिए प्रसार भारती और मंत्रालय के आपसी आरोप-प्रत्यारोप से मैं सहमत नहीं हूं। लेकिन इसे सरकार से संबंध सुधारने की जरूरत है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आखिरकार इसे चलाने के लिए पैसा सरकार देती है, जो संसद के प्रति जवाबदेह है। संस्था के अधिकारियों को संसद जाकर जवाब नहीं देना पड़ता। यह काम सरकार का है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही प्रसार भारती को कामकाज में स्वायत्तता भी दी गई है। नायडू ने बताया कि प्रसार भारती का सीईओ चुनने में उनके मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं है। उपराष्ट्रपति की अध्यक्षता में एक समिति नया सीईओ चुनेगी। वर्तमान सीईओ जवाहर सरकार द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लिए जाने का कारण पूछने पर नायडू ने कहा कि हमने ऐसा करने के लिए किसी को नहीं कहा। वे खुद मुझसे मिले और कहा कि उनकी इच्छा सेवानिवृत्त होने की है। इतने वरिष्ठ अधिकारी की बातों पर हमें ध्यान देना ही था।
उल्लेखनीय है कि सरकार की नियुक्ति संप्रग सरकार के समय हुई थी। वे चार नवंबर को स्वेच्छा से रिटायर हो रहे हैं। हाल के दिनों में सार्वजनिक प्रसारण संस्था और सूचना-प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों के बीच कई मुद्दों पर असहमतियों की खबरें थीं। संप्रग सरकार के समय इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर सिरकार ने पत्र लिखकर कई मुद्दों पर अपना विरोध जताया था।