राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को 75वें गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया। इसके बाद राष्ट्रगान गाया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सहित वहां मौजूद सभी गणमान्य लोगों ने झंडे को सलामी दी।
इसके साथ ही भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता, एकता एवं प्रगति, बढ़ती स्वदेशी क्षमताओं के दम पर इसकी सैन्य शक्ति और देश में बढ़ती नारी शक्ति को प्रदर्शित किए जाने की शुरुआत हुई।
फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में कर्तव्य पथ पर इस भव्य कार्यक्रम का गवाह बने। इसके साथ ही वह विश्व के उन चुनिंदा नेताओं की सूची में शुमार हो गए जिन्होंने पिछले सात दशकों में देश के सबसे बड़े समारोह की शोभा बढ़ाई है। यह छठा मौका था जब कोई फ्रांसीसी नेता गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बना है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर देश की आन, बान और शान को प्रदर्शित करने वाली परेड के साक्षी बने और इसी के साथ वह ऐसे वैश्विक नेताओं के समूह में शामिल हो गए हैं जिन्होंने सात दशकों में देश के सबसे बड़े राष्ट्रीय पर्व में शिरकत की है।
स्वदेशी बंदूक प्रणाली 105-एमएम इंडियन फील्ड गन के साथ 21 तोपों की सलामी दी गई। फिर 105 हेलीकॉप्टर यूनिट के चार एमआई-17 IV हेलीकॉप्टर ने कर्तव्य पथ पर उपस्थित दर्शकों पर फूलों की वर्षा की।
पहली बार, परेड की शुरुआत 100 से अधिक महिला कलाकारों ने भारतीय संगीत वाद्ययंत्र बजाकर की। इन कलाकारों ने शंख, नादस्वरम, नगाड़ा आदि बजाते हुए मधुर संगीत के साथ परेड की शुरुआत की।
इसके बाद राष्ट्रपति के सलामी लेने के साथ परेड शुरू हुई। परेड की कमान दूसरी पीढ़ी के सेना अधिकारी परेड कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल भवनीश कुमार, जनरल ऑफिसर कमांडिंग ने संभाली। मेजर जनरल सुमित मेहता, चीफ ऑफ स्टाफ, मुख्यालय दिल्ली क्षेत्र परेड सेकेंड-इन-कमांड थे।
‘विकसित भारत और भारत-लोकतंत्र की मातृका’- दोनों विषयों पर आधारित इस वर्ष की परेड में लगभग 13,000 विशेष अतिथियों ने भाग लिया।
कर्तव्य पथ फ्रांसीसी सशस्त्र बलों के संयुक्त बैंड और मार्चिंग दल के मार्च पास्ट का भी गवाह बना। 30 सदस्यीय बैंड दल का नेतृत्व कैप्टन खुरदा ने किया। इसके बाद 90 सदस्यीय मार्चिंग दल था जिसका नेतृत्व कैप्टन नोएल ने किया। एक मल्टी-रोल टैंकर परिवहन विमान और फ्रांसीसी वायु तथा अंतरिक्ष बल के दो राफेल लड़ाकू विमानों ने सलामी मंच से आगे बढ़ते समय टुकड़ियों के ऊपर उड़ान भरी।
इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय समर स्मारक जाकर शहीदों को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही देश में गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत हो गई।
इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान और तीनों रक्षा सेवाओं के प्रमुख भी मौजूद थे। सफेद कुर्ता-पायजामा के साथ भूरे रंग की बंडी और रंग बिरंगा बांधनी साफा पहने प्रधानमंत्री ने शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद वहां डिजिटल आगंतुक पुस्तिका में हस्ताक्षर भी किए।
इसके बाद प्रधानमंत्री गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में शामिल होने के लिए कर्तव्य पथ में सलामी मंच पर पहुंचे। उन्होंने विशिष्ट दीर्घा में केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्यों और विशेष अतिथियों का अभिवादन किया। उन्होंने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का स्वागत भी किया।
इसके कुछ ही देर बाद राष्ट्रपति मुर्मू इस साल गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि व उनके फ्रांसीसी समकक्ष इमैनुएल मैक्रों के साथ पारंपरिक बग्गी से वहां पहुंचे। यह प्रथा 40 वर्षों के अंतराल के बाद इस साल फिर शुरू की गई है। दोनों के वहां पहुंचते ही दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया। राष्ट्रपति मुर्मू और मैक्रों ने भी नमस्ते की मुद्रा में उनका अभिवादन स्वीकार किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी अगवानी की। मैक्रों से वह गले भी मिले और कुछ देर दोनों को बात करते हुए देखा गया। इसके बाद राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया और फिर 21 तोपों की सलामी दी गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने 25 फरवरी 2019 को राष्ट्रीय समर स्मारक का उद्घाटन कर इसे राष्ट्र को समर्पित किया था। यह स्मारक स्वतंत्रता के बाद से हमारे वीर सैनिकों द्वारा किए गए बलिदान का प्रमाण है।
साल 2022 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने अमर सपूतों के शौर्य व वीरता का गुणगान करने वाले इस स्मारक पर पहली बार श्रद्धांजलि अर्पित की थी। इससे पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री इंडिया गेट पर बने स्मारक अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि अर्पित किया करते थे।
राष्ट्रीय समर स्मारक में एक शाश्वत ज्योति है जो किसी सैनिक द्वारा अपना कर्तव्य निभाते हुए किए गए सर्वोच्च बलिदान का उदाहरण है और उसे अमर बनाती है।