राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रपति भवन से नोबल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में उन्हें अभियान आरंभ करने पर प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान हमारे गणराज्य के लोकतंत्र, बहुलवाद एवं धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक है। राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास एवं मानव प्रयासों के अन्य क्षेत्रों में भले ही प्रगति की हो, लेकिन अभी भी ऐसे 100 मिलियन से अधिक बच्चे हैं, जो ‘विद्यालयों से बाहर’ हैं। उन्हें उनके बचपन से वंचित रखा जा रहा है और उन्हें विभिन्न प्रकार के शोषणों का सामना करना पड़ रहा है। दुनिया को निश्चित रूप से अविलंब यह महसूस करना चाहिए कि जब तक हमारे बच्चे सुरक्षित और हिफाजत से नहीं हैं, और जब तक उन्हें मानवता के व्यापक हितों के लिए बदलाव का कारक बनने की आजादी और अवसर उपलब्ध नहीं कराया जाता, कोई भी प्रगति संभव नहीं है। उन्हें गरीबी, हिंसा और अभाव से दूर एक प्रकाशमय, उन्मुक्त और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करना हमारी महत्ती जिम्मेदारी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वंचित वर्गों के 100 मिलियन बच्चों के बेहतर भविष्य को आकार देने के लिए 100 मिलियन युवकों को प्रेरित करने का यह वैश्विक प्रयास बदलाव की ऐसी शुरुआत है जो लंबे समय से विलंबित था। 100 मिलियन के लिए 100 मिलियन’ अभियान का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में बाल श्रम, बाल दासता, बच्चों के खिलाफ हिंसा और सुरक्षित, उन्मुक्त एवं शिक्षित होने के प्रत्येक बच्चे के अधिकार को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर के वंचित वर्गों के 100 मिलियन बच्चों के लिए 100 मिलियन युवकों एवं बच्चों को प्रेरित करना है। इससे पूर्व सत्यार्थी फाउंडेशन द्वारा आयोजित सम्मेलन में दुनिया भर से जुटे लोगों ने अपने अनुभव साझा किए। इस अवसर पर धर्मगुरू दलाई लामा से लेकर कई गणमान्य हस्तियां मौजूद थी।