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देश के सबसे लंबे रेल-रोड पुल का हुआ उद्घाटन, 1997 में रखी गई थी आधारशिला

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सबसे लंबे और एशिया के दूसरे सबसे लंबे रेल-सड़क पुल बोगीबील का...
देश के सबसे लंबे रेल-रोड पुल का हुआ उद्घाटन, 1997 में रखी गई थी आधारशिला

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सबसे लंबे और एशिया के दूसरे सबसे लंबे रेल-सड़क पुल बोगीबील का मंगलवार को उद्घाटन किया। यह पुल ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर तथा दक्षिणी तटों को जोड़ता है।

ब्रह्मपुत्र नदी पर बना 4.9 किलोमीटर लंबा पुल देश का पहला पूर्णरूप से जुड़ा पुल है। इससे असम से अरुणाचल प्रदेश के बीच की यात्रा दूरी घट कर चार घंटे रह जाएगी। इसके अलावा दिल्ली से डिब्रूगढ़ रेल यात्रा समय तीन घंटे घट कर 34 घंटे रह जाएगा। इससे पहले यह दूरी 37 घंटे में तय होती थी। इस पुल के निर्माण में 5,900 करोड़ रुपए का खर्च आया है और इसकी मियाद 120 वर्ष है।

गौरतलब है कि भारत ने अरुणाचल प्रदेश के सीमाई इलाकों में साजो-सामान पहुंचाने में सुधार की योजना तैयार की है और बोगीबील उन्हीं ढांचागत परियोजनाओं का हिस्सा है।

1997 में रखी गई थी आधारशिला

पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने जनवरी 1997 में बोगीबील पुल की आधारशिला रखी थी लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा निर्माण कार्य के शुभारंभ के बाद अप्रैल 2002 में इसका कार्य शुरू हुआ। पिछले 16 वर्षों में इसके निर्माण को पूरा करने के लिये कई बार विभिन्न समय-सीमा तय की गई लेकिन उस अवधि में कार्य पूरा नहीं हो सका। तीन दिसंबर को पहली माल गाड़ी इस पर से गुजरी थी।

ये है खासियत

-इस डबल डेकर पुल को भारतीय रेलवे ने बनाया है। इसके नीचे के डेक पर दो रेल लाइन हैं और ऊपर के डेक पर 3 लेन की सड़क है। ये पुल उत्तर में धेमाजी को दक्षिण में डिब्रूगढ़ से जोड़ेगा।

-ब्रह्मपुत्र के दो सिरों को जोड़ना अपने आप में काफी चुनौती भरा काम था। ये भारी बारिश का इलाका है, ये भूकंप की आशंका वाला इलाका है, ऐसे में ये पुल कई मायनों में अनोखा है।

-पहले धेमाजी से डिब्रूगढ़ की 500 किलोमीटर की दूरी तय करने में 34 घंटे लगते थे, अब ये सफर महज 100 किलोमीटर का रह जाएगा और 3 घंटे लगेंगे। इस पर 5920 करोड़ की लागत आई है। शुरू में इसकी लागत 1767 करोड़ आने का अनुमान लगाया गया था।

-इस पुल से फौजी टैंक भी जा सकते हैं। मेडिकल इमरजेंसी की हालत में ये पुल बहुत ही मददगार साबित होगा। पहले डिब्रूगढ़ जाने के लिये लोग पानी के जहाज पर निर्भर करते थे, लेकिन अब हर काम में आसानी हो जाएगी।

 

 

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