पंजाब मानवाधिकार संगठन के अनुसार, गणतंत्र दिवस की रैली में भाग लेने वाले पंजाब के 100 से अधिक किसान लापता हैं। पीएचआरओ ने खलरा मिशन के सहयोग से लाल किले की घटना के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा नामजद किए गए किसानों को मुफ्त कानूनी सहायता देने की घोषणा की।
कार्यकर्ता सरबजीत सिंह वेरका ने कहा कि “ऐसा लगता है कि पुलिस किसानों को जानबूझकर लाल किले तक ले गई थी। जब निशान साहिब को वहां फहराया गया तो हंगामा खड़ा हो गया। तिरंगे को छुआ तक नहीं गया, यह अपराध नहीं हो सकता। ज्यादातर प्रदर्शनकारियों को मौके पर अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था, तब से उनके ठिकाने का पता नहीं है।”
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के वकील हाकम सिंह ने कहा कि पंजाब के कम से कम 80-90 युवक सिंघू और टिकरी में अपने शिविरों में नहीं लौटे थे। उन्होंने बताया कि वकीलों का एक समूह उन्हें ट्रेस करने की कोशिश कर रहा है। वे लगातार पुलिस, किसानी संगठनों और अस्पतालों के संपर्क में हैं।
पंथिक तलमेल संगठन के बैनर के नीचे वकीलों ने भी किसानों को कानूनी सहायता की पेशकश की। उन्होंने कहा कि वे एफआईआर की जांच कर रहे हैं। ज्यादातर किसानों को सार्वजनिक संपत्ति अधिनियम, महामारी रोग अधिनियम और प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम के तहत नुकसान के लिए नामजद किया गया था।
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि “निशान साहिब सिख पहचान का प्रतीक है। झंडा फहराना अपराध नहीं बनता।” मोगा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गांव ततारियेवाला के 12 युवकों का कुछ पता नहीं चल पा रहा है। ये सारे लापता हो चुके हैं। ग्राम पंचायत ने बताया ति अमृतपाल सिंह, गुरप्रीत सिंह, दलजिंदर सिंह, जगदीप सिंह, जगदीश सिंह, नवदीप सिंह, बलवीर सिंह, भाग सिंह, हरजिंदर सिंह, रंजीत सिंह, रमनदीप सिंह और जसवंत सिंह लापता हो चुके हैं। पंचायत ने कैप्टन अमरेंद्र से उनकी रिहाई और सुरक्षा करने की अपील की।